कैबिनेट की बैठक में पीएम विद्यालक्ष्मी योजना और एफसीआई को 10,700 करोड़ की पूंजी मंजूर

नई दिल्ली I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इन फैसलों में सबसे अहम फैसला मेधावी बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए, इस उद्देश्य से पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी देने का था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना की जानकारी दी।

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केंद्र सरकार ने पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मेधावी छात्रों की उच्च शिक्षा में कोई रुकावट न आए। इस योजना के तहत छात्रों को शिक्षा ऋण सस्ती दरों पर मिल सकेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए छात्रों को बैंकों से 10 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण मिलेगा। यह ऋण उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई के लिए लिया जा सकेगा। अब आर्थिक तंगी के कारण छात्रों की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आएगी।

इसके अलावा, इस योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेना अब और भी आसान होगा। शिक्षा ऋण गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों (QHEI) में प्रवेश लेने वाले छात्रों के पाठ्यक्रम से संबंधित ट्यूशन फीस और अन्य खर्चों को कवर करेगा। इस ऋण को बिना किसी गारंटी और बिना किसी संपत्ति के लिया जा सकेगा।

क्या है पीएम विद्यालक्ष्मी योजना?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, जिन परिवारों की वार्षिक आय 8 लाख रुपये तक है, वे पीएम विद्यालक्ष्मी योजना का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे परिवारों के छात्रों को 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर 3% ब्याज अनुदान मिलेगा। इसके अलावा, 7.5 लाख रुपये तक के ऋण पर सरकार 75% क्रेडिट गारंटी भी प्रदान करेगी। यह योजना छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करने के लिए मिशन मोड में कार्य करेगी, जिससे शिक्षा के विस्तार को और भी सुगम बनाया जा सकेगा।

कैबिनेट की बैठक में पीएम विद्यालक्ष्मी योजना और एफसीआई को 10,700 करोड़ की पूंजी मंजूर कैबिनेट की बैठक में पीएम विद्यालक्ष्मी योजना और एफसीआई को 10,700 करोड़ की पूंजी मंजूर

एफसीआई को 10,700 करोड़ रुपये की नई इक्विटी पूंजी देने का निर्णय
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई इस कैबिनेट बैठक में भारतीय खाद्य निगम (FCI) को 10,700 करोड़ रुपये की नई इक्विटी पूंजी देने का भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। खाद्यान्न की खरीद में एफसीआई की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इसे मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया गया।

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