S Jaishankar की चीन यात्रा पर राहुल गांधी ने कसा तंज, कहा- सर्कस चला रहे विदेश मंत्री…

S Jaishankar China Visit : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) की चीन यात्रा को लेकर तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जयशंकर देश की विदेश नीति के साथ मज़ाक कर रहे हैं और इसे सर्कस में तब्दील कर दिया है। राहुल गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी केंद्र सरकार पर सवालों की बौछार कर दी।

राहुल गांधी ने कही ये बात…

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “ऐसा लग रहा है कि चीनी विदेश मंत्री भारत आकर प्रधानमंत्री मोदी को चीन-भारत के ताजा घटनाक्रमों की जानकारी देंगे। विदेश मंत्री (S Jaishankar) अब सिर्फ एक तमाशा चला रहे हैं, जिससे देश की विदेश नीति का नुकसान हो रहा है।”

एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। यह यात्रा इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह पहली बार है जब जयशंकर चीन पहुंचे हैं। उस झड़प में दोनों देशों के रिश्तों में जबरदस्त तनाव आ गया था।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस दौरे पर सवाल खड़े किए। उन्होंने भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के हवाले से कहा कि चीन ने पाकिस्तान को एक ‘लाइव लैब’ की तरह इस्तेमाल किया है। रमेश ने आरोप लगाया कि चीन ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी खुफिया जानकारियां पाकिस्तान को वास्तविक समय में मुहैया कराईं।

उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्री (S Jaishankar) को याद दिलाने की ज़रूरत है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात के बाद रिश्तों में क्या बदलाव आए हैं। चीन की ओर से पाकिस्तान को दिया गया समर्थन भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

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वहीं, शी जिनपिंग ने एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों से कहा कि वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में सदस्य देशों को सुरक्षा ढांचे को मज़बूत करना चाहिए और मिलकर ऐसा सुरक्षा कवच तैयार करना चाहिए जो आने वाले खतरों का सामना कर सके। उन्होंने कहा कि एससीओ को केंद्रित रहकर प्रभावी रूप से काम करना होगा।

इस पूरी स्थिति पर कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार चीन के साथ संबंधों को लेकर पारदर्शिता नहीं बरत रही और लगातार राष्ट्रीय हितों की अनदेखी हो रही है।

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