Mumbai : घर खरीदने का सपना देख रहे लोगों के लिए खुशखबरी! रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 7 जून 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.50% (50 बेसिस पॉइंट) की कटौती की है, जिसके बाद यह अब 5.5% हो गया है। फरवरी 2025 से अब तक RBI कुल 1% की कटौती कर चुका है, जिसमें फरवरी, अप्रैल और जून में 25-25 बेसिस पॉइंट और अब 50 बेसिस पॉइंट की कमी शामिल है। इस फैसले से होम लोन, कार लोन और अन्य कर्ज की EMI में कमी आई है, जिसका लाभ नए और मौजूदा दोनों लोन धारकों को मिलेगा।
RBI की कटौती के बाद कई प्रमुख बैंकों ने अपने रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) और मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में कमी की है, जिससे होम लोन की ब्याज दरें और आकर्षक हो गई हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा : बैंक ने RLLR को 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 8.15% कर दिया है, जो तत्काल प्रभावी है। वेबसाइट के अनुसार, होम लोन की शुरुआती ब्याज दर 8% है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह दर हाल की कटौती को दर्शाती है या नहीं। 20 साल के लिए ₹50 लाख के होम लोन की EMI अब लगभग ₹41,800 होगी, जो पहले ₹43,000 थी, यानी प्रति माह ₹1,200 की बचत।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB): PNB ने RLLR को 8.85% से घटाकर 8.35% किया, जो 9 जून से लागू होगा। बैंक ने सोशल मीडिया पर घोषणा की, “ग्राहकों के लिए खुशखबरी! अब आपकी EMI और सस्ती।” PNB की होम लोन की शुरुआती ब्याज दर अब 7.45% और वाहन लोन की 7.80% है। ₹50 लाख के 20 साल के होम लोन की EMI अब ₹40,500 के आसपास होगी, जिसमें ₹1,500 की मासिक बचत होगी।
बैंक ऑफ इंडिया: बैंक ने RLLR में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिसके बाद यह 8.35% हो गया है। स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, यह बदलाव तुरंत प्रभावी है। इससे होम लोन और अन्य रिटेल लोन की EMI में कमी आएगी।
यूको बैंक: यूको बैंक ने MCLR में 10 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जो 10 जून से लागू होगी। इससे MCLR-लिंक्ड लोन, जैसे कुछ होम और बिजनेस लोन, सस्ते होंगे। हालांकि, रेपो-लिंक्ड लोन की तुलना में इसका प्रभाव सीमित होगा।

रेपो रेट में 1% की कुल कटौती से होम लोन की ब्याज दरें औसतन 8.5% से घटकर 7.5% के आसपास आ गई हैं। उदाहरण के लिए:
- ₹50 लाख का होम लोन (20 साल, 8.5% ब्याज): पुरानी EMI ₹43,300 थी।
- नई दर (7.5%): EMI अब ₹40,300 होगी, यानी मासिक ₹3,000 और 20 साल में कुल ₹7.2 लाख की बचत।
- मौजूदा लोन धारकों के लिए, जिनके लोन RLLR से जुड़े हैं, बैंकों द्वारा स्वचालित रूप से नई दरें लागू की जाएंगी। हालांकि, MCLR-लिंक्ड लोन वालों को री-सेट तिथि तक इंतजार करना पड़ सकता है।

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने यह फैसला वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लिया। प्रमुख कारण:
- नियंत्रित मुद्रास्फीति: मई 2025 में CPI मुद्रास्फीति 3.5% थी, जो RBI के 4% (±2%) लक्ष्य से नीचे है।
- वैश्विक व्यापार तनाव: अमेरिकी आयात शुल्क (11-54%) ने भारत के निर्यात को प्रभावित किया, जिससे घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए सस्ते कर्ज की जरूरत है।
- GDP वृद्धि की जरूरत: FY25 में GDP वृद्धि 6.4% रही, जो चार साल में सबसे कम है। रेपो कटौती से निवेश और उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
