मिथिलेश कुमार पाण्डेय
डिजिटल करेंसी के प्रचार प्रसार के प्रयास में भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्णय किया है कि वह अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को वेतन के अलावा दी जाने वाली लाभ राशि का भुगतान अब डिजिटल करेंसी के रूप में करेगा। 27 दिसम्बर 2024 को रिज़र्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी के प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढाने और आम जनों में लोकप्रिय बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
यदि रिज़र्व बैंक का यह प्रयास सफल रहता है और इसके उपभोक्ता इसके प्रयोग में सहजता महसूस करते हैं तो हो सकता है कि इसके उपयोग का दायरा बढाया जाय और आम जनता को इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाय। हो सकता है कि निकट भविष्य में हम और आप भी डिजिटल करेंसी का उपयोग कर रहे होंगे। इस स्थिति में यह बेहतर होगा कि हमलोग इसके बारे में कुछ जानें।
आईये डिजिटल करेंसी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानने की कोशिश करते हैं।
डिजिटल करेंसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा पूर्व निर्धारित मूल्यों के साथ जारी किया जाता है जैसे कि भौतिक मुद्रा ( नोट या सिक्के ) जारी किये जाते रहे हैं। डिजिटल करेंसी को हम e-मुद्रा भी कह सकते हैं। व्यक्ति और व्यापार CBDC के खुदरा उपभोक्ता तथा वित्तीय संस्थाए इसके बड़े उपभोक्ता होंगे। भौतिक मुद्रा जारी करनेवाले ( देश के केंद्रीय बैंक) के साख पर आधारित होते हैं और अपने देश की भौगौलिक सीमाओं के अंतर्गत लेनदेन, खरीद विक्री के लिए वैध माने जाते हैं |
CBDC जारी करने का उद्देश्य :
1. वित्तीय सेवाओं को सभी लोगों तक पहुचाना। इसके दायरे में उनलोगों को भी लाना जो अभी तक औपचारिक तौर पर किसी भी बैंक से न जुड़े हों।
- डिजिटल तकनीक के सहारे वित्तीय प्रणाली का आधुनिकीकरण करना ताकि यह और समावेशी, दक्ष और मजबूत हो सके।
- कैश पर की निर्भरता को कम करना है।
- वित्तीय समावेसन ( Financial Inclusion ) को बढ़ावा देना है।
- मौद्रिक छपाई और रख रखाव के खर्चे को कम करना है।
- वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता को बढ़ाना है।
- अन्तेर्राष्ट्रीय लेनदेन को सस्ता और सुगम बनाना है।
- नकली मुद्रा के प्रचलन की संभावना को ख़तम करना है।
डिजिटल करेंसी के प्रचलन में आने से कुछ चुनौतियां भी सामने आयेंगी जिनमें कुछ निम्न हैं:
1. तकनीक के उन्नयन में बड़े निवेश की जरूरत होगी ताकि खाताधारकों को साइबर अटैक से बचाया जा सके।
2. लेनदेन की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है।
- वर्तमान बैंकिंग व्यवस्था में व्यापक बदलाव होगा। बैंकों में जमा कम होने से ऋण देने की प्रक्रिया प्रभावित होगी जो कि छोटे और मंझोले उद्योग और व्यापार के लिए अनुकूल नहीं होगा।
- बैंकिंग में कम लागत वाली जमा राशियाँ ( CASA) कम हो जाएँगी जिससे बैंकों की लाभप्रदता दुष्प्रभावित होंगी।
- लोगों के व्यक्तिगत लेनदेन पर सरकारी नियंत्रण होने की संभावना बढ़ सकती है। गोपनीय दान और चंदा देने वाले लोग असहज महसूस कर सकते हैं और संभवतः दान और चंदा कम हो जाय।
6 डिजिटल लेनदेन और पारंपरिक बैंकिंग लेनदेन में परस्पर समायोजन स्थापित करना जरूरी होगा।
डिजिटल ज्ञान के स्तर और उपलब्धता के अनुसार समाज और अर्थव्यवस्था में भिन्नता बढ़ेगी।
डिजिटल करेंसी के प्रचलन का वर्तमान परिदृश्य :
वर्तमान में बहमास, जमैका और नाइजीरिया में CBDC प्रचलन में है। 36 विभिन्न देशों में इस प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। G 20 समूह के देशों में से 8 देशों में भी CBDC के लिए काम किया जा रहा है। अभी जहाँ भी CBDC प्रचलन में है या लाया जाने वाला है वहां इसे भौतिक मुद्रा के सहयोगी रूप में ही प्रयोग किया जा रहा है या किया जायेगा। भौतिक मुद्रा के साथ साथ ही इसको प्रचलन में रखा जायेगा। अभी यह प्रारंभिक अवस्था में है और दुनिया के सभी देश इसके लाभ हानि पर विचार कर रहे हैं और जब इसको पूर्ण रूप से प्रयोग में लाया जायेगा तभी इसके लाभ और चुनौतियाँ सामने आएँगी। अभी तो केवल अनुमान लगाया जा रहा है और इसके अनुसार बातें हो रही हैं।
परिणाम चाहे जो भी हो, शीघ्र या विलम्ब जब भी यह पूर्णतः लागू होगा तो दुनिया की आर्थिकी में एक क्रन्तिकारी परिवर्तन सिद्ध होगा। लागू करने वाले देशों को अपनी आर्थिक और मौद्रिक नीतियों को पुनर्भाषित करने की जरूरत होगी।

(लेखक पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं आर्थिक विश्लेषक हैं )