वाराणसी I कहते हैं, जब सेवा भावना इरादे से जुड़ती है, तो चमत्कार होना तय है। ऐसा ही एक जीवंत उदाहरण वाराणसी स्थित आर के नेत्रालय (RK Netralaya) द्वारा वर्षों से चलाया जा रहा नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन अभियान है। इस अभियान के अंतर्गत अब तक हजारों लोगों की आंखों में उजाला लौट चुका है, और इस सप्ताह फिर 9 ज़रूरतमंदों की ज़िंदगी में उजाला भर दिया गया।

इस बार जिन 9 लोगों की आंखों की रौशनी वापस आई, उनके नाम हैं — शकुंतला, मुन्नी देवी, सहदेयी, अली मुहम्मद, महादेयी, रीना, र्राभवती, मुरती और गुलाबी। इनमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले वो बुजुर्ग हैं, जिनके पास इलाज का खर्च उठाने का कोई साधन नहीं था।

इन सभी का ऑपरेशन अनुभवी नेत्र विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता सिंह द्वारा किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीजों को मुफ्त में दवाइयां और चश्मे भी उपलब्ध कराए गए। यह सेवा एम. के. पांडेय और सुमंत मौर्य द्वारा दी गई, जिन्होंने मरीजों को बेहद सरल भाषा में बताया कि ऑपरेशन के बाद उन्हें किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए — जैसे धूल से बचाव, आंखों को न रगड़ना, समय पर दवा लेना और एक हफ्ते तक किसी भी भारी काम से बचना।

आर के नेत्रालय (RK Netralaya) के पीछे खड़े हैं एक ऐसा नाम, जिसने इस शहर में निःस्वार्थ चिकित्सा सेवा की मिसाल कायम की है — डॉ. आर. के. ओझा। वर्षों से वे इस नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन अभियान को चला रहे हैं। उनका मानना है, हर इंसान को देखने का हक है — चाहे वह अमीर हो या गरीब। सेवा ही सच्चा धर्म है, और अगर हमारे ज्ञान से किसी की ज़िंदगी में रौशनी लौट सकती है, तो इससे बड़ा सौभाग्य कुछ नहीं हो सकता।

डॉ. ओझा ने इस सेवा को सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी का रूप दिया है। उनके इस प्रयास से अब तक हजारों लोग अंधेरे से उजाले की ओर लौट चुके हैं — वो भी बिना कोई शुल्क दिए।
इस पहल की सबसे खास बात यह है कि यहाँ इलाज के साथ-साथ मरीजों को सम्मान और अपनापन भी दिया जाता है। हर मरीज को यह एहसास कराया जाता है कि वह अकेला नहीं है — समाज उसके साथ खड़ा है। इसी कारण आर के नेत्रालय (RK Netralaya) का यह सेवा अभियान सिर्फ चिकित्सा नहीं, बल्कि उम्मीद और मानवता की सबसे बड़ी मिसाल बन चुका है।