
नई दिल्ली I घरेलू शेयर बाजारों में नरम रुख और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी के बीच मंगलवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अपने ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति पर भी बाजार की नजरें टिकी हुई हैं, जिससे आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है।
मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 84.13 प्रति डॉलर पर खुला, जो कि सोमवार के 84.11 प्रति डॉलर के बंद स्तर से दो पैसे की गिरावट को दर्शाता है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत बढ़कर 103.91 पर पहुंच गया है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड भी 0.19 प्रतिशत बढ़कर 75.22 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को शुद्ध रूप से 4,329.79 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। रुपये में गिरावट का प्रत्यक्ष प्रभाव आम जनता की जेब पर पड़ेगा। डॉलर की मजबूती के कारण आयातित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी, विशेष रूप से खाद्य, तेल और दलहन जैसे उत्पादों की कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं। इसके अलावा विदेश यात्रा, शिक्षा, तेल, दवा और भारी मशीनरी जैसे आयातित उत्पादों का महंगा होना भी संभावित है, जिससे घरेलू खर्चों पर भार बढ़ेगा।
क्या रुपये में गिरावट से घरेलू महंगाई को संभालने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है?
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