नई दिल्ली I संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे के बीच राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस खारिज कर दिया गया है। यह नोटिस अनुच्छेद 67बी के तहत विपक्षी दलों ने दिया था, जिसमें सभापति पर पक्षपातपूर्ण बर्ताव का आरोप लगाया गया था।
अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस और खारिज होने का कारण
राज्यसभा में विपक्ष ने सभापति धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस दिया था, जिस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर थे। इस प्रस्ताव को लेकर संसद के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश की गई। हालांकि, उपसभापति हरिवंश ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह नोटिस तथ्यों से परे और जानबूझकर प्रचार पाने के उद्देश्य से लाया गया है।
उपसभापति का बयान
राज्यसभा के उपसभापति ने विपक्ष के इस कदम को अनुचित और त्रुटिपूर्ण बताते हुए इसे उपराष्ट्रपति के उच्च संवैधानिक पद का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि यह नोटिस जल्दबाजी में तैयार किया गया और मौजूदा उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास है।
राज्यसभा के नियमों के अनुसार, सभापति को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना आवश्यक है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलना है, जिससे विपक्ष का यह नोटिस समयसीमा के दायरे में नहीं था।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष ने धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया था और सदन में निष्पक्षता की कमी का मुद्दा उठाया था। हालांकि, नोटिस खारिज होने के बाद विपक्ष को बड़ा झटका लगा है।