संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्रदर्शन का समय

हिंदू धर्म में माघ मास कृष्ण पक्ष की संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार यह व्रत 17 जनवरी को रखा जा रहा है। यह व्रत भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित है और विशेषत: संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और जीवन के विघ्नों को समाप्त करने के उद्देश्य से महिलाएं इसे करती हैं। इस दिन चंद्रोदय के बाद गणपति जी की पूजा की जाती है। श्रद्धालु उन्हें दूर्वा, लड्डू, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करते हैं। साथ ही, “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जप करना भी अत्यधिक फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन पूजा के शुभ समय और चंद्रोदय का समय।

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चतुर्थी व्रत का समय और शुभ संयोग

व्रती इस दिन लगभग 17 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और चंद्रोदय के समय भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इस बार यह व्रत मघा नक्षत्र और सौभाग्य योग के दुर्लभ संयोग के कारण अधिक शुभ और फलदायक माना जा रहा है।

शुभ मुहूर्त और चतुर्थी तिथि

ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार, माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी को सुबह 4:07 बजे प्रारंभ होकर 18 जनवरी को सुबह 5:31 बजे समाप्त होगी। चंद्रोदय का समय 17 जनवरी को रात 8:52 बजे है। इस दिन मघा नक्षत्र 16 जनवरी को सुबह 11:17 बजे से प्रारंभ होकर 17 जनवरी को दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा, जिसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र आरंभ होगा। सौभाग्य योग का संयोग इस व्रत की महिमा को और बढ़ा देता है।

व्रत की विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रोदय व्यापिनी तिथि के दिन रखा जाता है। व्रती सूर्योदय से चंद्रोदय तक जल तक ग्रहण नहीं करते। चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है और उनका पूजन किया जाता है। इसके बाद भगवान गणेश की आराधना की जाती है और व्रत का पारण किया जाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शुभता लाता है।

काशी के 56 गणेश मंदिरों में विशेष पूजा

काशी नगरी में इस पर्व पर भक्तों का विशेष उत्साह देखने को मिलता है। यहां श्रद्धालु *बड़ा गणेश, चिंतामणि गणेश, दुर्गविनायक, साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश और दुग्ध विनायक सहित 56 प्रमुख गणेश मंदिरों में दर्शन और पूजन करते हैं। भगवान गणेश को मोदक, दूर्वा और चंदन अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्ति की कामना की जाती है।

मघा नक्षत्र और सौभाग्य योग का महत्व

इस बार संकष्टी चतुर्थी पर मघा नक्षत्र और सौभाग्य योग का संयोग इसे विशेष बना रहा है। मघा नक्षत्र को देवों के पूर्वजों से संबंधित माना जाता है, जो व्रती को विशेष आशीर्वाद प्रदान करता है। वहीं, सौभाग्य योग इस व्रत के पुण्यफल को कई गुना बढ़ा देता है। इस संयोग से व्रतधारी को जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

व्रत का फल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश सभी विघ्नों को दूर करते हैं। इस दिन विधिपूर्वक की गई पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है। भक्तगण अपने परिवार की खुशहाली, व्यापार में उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यह व्रत करते हैं।

माघ मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का संचार करती है। मघा नक्षत्र और सौभाग्य योग के विशेष संयोग का लाभ उठाते हुए भगवान गणेश की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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