संकटमोचन Music Festival 2025: 10 दिनों तक भक्ति और शास्त्रीय संगीत का महासंगम

वाराणसी I संकट मोचन मंदिर में 12 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाला संगीत समारोह (Music Festival) इस बार 10 दिनों तक भक्ति, संगीत और संस्कृति का अनूठा संगम प्रस्तुत करेगा। मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने तुलसी घाट पर आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को पड़ने वाली हनुमान जयंती के साथ शुरू होने वाला यह उत्सव 21 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें रामायण सम्मेलन और 102वें संकट मोचन संगीत समारोह का भव्य आयोजन होगा।

हनुमान जयंती का भव्य शुभारंभ
हनुमान जयंती का मुख्य आयोजन 12 अप्रैल को संकट मोचन मंदिर प्रांगण में होगा। इस दिन श्री संकट मोचन हनुमान जी महाराज का विशेष श्रृंगार, झांकी, आरती और पूजन होगा। प्रात:कालीन सत्र में शहनाई वादन से शुरुआत होगी, जिसके बाद विद्वान ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक, श्री रामचरित मानस का एकाह पाठ, श्री सीताराम संकीर्तन, रामार्चा पूजन और श्री वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ होगा। सायंकाल 5 बजे रामकृष्ण मिशन की कीर्तन मंडलियां भक्ति भजनों की प्रस्तुति देंगी। रातभर काशी की प्रमुख रामायण मंडलियों द्वारा श्री रामचरित मानस का अखंड पाठ आयोजित होगा।

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सार्वभौम रामायण सम्मेलन
13 से 15 अप्रैल तक मंदिर में सार्वभौम रामायण सम्मेलन का आयोजन होगा। इस दौरान काशी और देश के प्रख्यात मानस वक्ता भक्तों को राम कथा का रसपान कराएंगे। सम्मेलन में पं. उमाशंकर शर्मा (बरेली), पं. किशन उपाध्याय (किशनगंज), डॉ. चंद्रकांत चतुर्वेदी और प्रो. नलिन श्याम कामिल सायं 5 बजे से रात 10 बजे तक अपनी कथाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। प्रो. मिश्र ने बताया कि यह सम्मेलन भक्तों को राम भक्ति और भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने का एक अनुपम अवसर है।

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102वां संकट मोचन संगीत समारोह (Music Festival)
महोत्सव (Music Festival) का सबसे बड़ा आकर्षण होगा 16 से 21 अप्रैल तक चलने वाला छह रातों का संकट मोचन संगीत समारोह, जो अपने 102वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह आयोजन पूर्ण रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और वादन को समर्पित है। इस बार 45 मुख्य कलाकार, 103 संगत और सहयोगी कलाकार हिस्सा लेंगे, जिनमें 13 पद्म अलंकृत और 17 प्रथम प्रवेशी कलाकार शामिल हैं। प्रो. मिश्र ने बताया कि इस बार बनारस घराने के युवा कलाकारों को विशेष मंच प्रदान किया गया है, ताकि वे अपनी प्रतिभा से विश्व को परिचित करा सकें। इसके अलावा, तीन मुस्लिम कलाकारों की प्रस्तुति सांस्कृतिक समन्वय का संदेश देगी।

संगीत समारोह (Music Festival) का विस्तृत कार्यक्रम
16 अप्रैल: पं. हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी), जननी मुरली (भरतनाट्यम), पं. राहुल शर्मा (संतूर), डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव (मृदंगम, पद्मविभूषण), पं. प्रवीण गोडखिंडी (बांसुरी), पं. अजय पोहनकर (गायन), पं. विकास-विभाष महाराज (सरोद-सितार), रोहित पवार (कथक)।

17 अप्रैल: लावण्या शंकर (भरतनाट्यम), डॉ. राजेश शाह (सितार), पं. अजय चक्रवर्ती (गायन), विवेक पांड्या (तबला सोलो), पं. पूर्वायन चटर्जी (सितार), सोहिनी राय चौधरी (गायन), मंजूनाथ-नागराज माधवप्पा (वायलिन), पं. नीरज पारिख (गायन)।

18 अप्रैल: यू. राजेश (मैंडोलिन), पं. शिवमणि (जूम, पद्मश्री), सौरव-गौरव मिश्रा (कथक), ओंकार हवलदार (गायन), पं. विश्वमोहन भट्ट-सलील भट्ट (मोहन वीणा-सात्विक वीणा, पद्मभूषण), दीपिका वरदराजन (गायन), पं. राजेंद्र सेजवार (गायन), पं. अभय रुस्तम सोपोरी (संतूर), पं. हरिश तिवारी (गायन)।

19 अप्रैल: वी. अनुराधा सिंह (कथक), पं. साहित्य-सोतष नाहर (सितार-वायलिन), उस्ताद वसिफउद्दीन डागर (ध्रुपद), पं. जयदीप घोष (सरोद), पं. रामशंकर-स्नेहा शंकर (गायन), प्रभाकर-दिवाकर कश्यप (गायन), विदुषी कंकना बनर्जी (गायन)।

20 अप्रैल: नयनिका घोष (कथक), अभिषेक लाहिडी (सरोद), अरमान खां (गायन), पं. तरुण भट्टाचार्य (संतूर), पं. जयतीर्थ मेउन्डी (गायन), शाहना बनर्जी (सितार), पं. संजू सहाय (तबला सोलो)।

21 अप्रैल: पं. रतिकांत महापात्र (ओडिसी, पद्मश्री), पं. उल्हास कसालकर (गायन, पद्मश्री), उस्ताद मेहताब अली नियाजी (सितार), पं. अनूप जलोटा (गायन, पद्मश्री), पं. सुरेश गंधर्व (गायन), पं. रोनू-ऋषिकेश मजूमदार (बांसुरी), पं. साजन-स्वरांश मिश्र (गायन, पद्मभूषण)।

युवा और परंपरा का संगम
प्रो. मिश्र ने बताया कि इस बार संगीत समारोह Music Festival में बनारस घराने के युवा कलाकारों को बड़े मंच पर अपनी कला दिखाने का अवसर दिया गया है। साथ ही, बीएचयू के मंच कला संकाय को एक विशेष मंच समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा, “बनारस का संगीत घराना विश्वविख्यात है। हमारी नई पीढ़ी इसे और आगे ले जाएगी।”

102 साल की सांस्कृतिक यात्रा
संकट मोचन संगीत समारोह (संकटमोचन Music Festival 2025) की शुरुआत 1923 में महंत अमरनाथ मिश्र ने की थी, जो स्वयं कुशल पखावज वादक थे। उनके बाद महंत पं. वीरभद्र मिश्र, जो बीएचयू में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और स्वच्छ गंगा अभियान के प्रणेता थे, ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वर्तमान महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र, जो BHU IIT में प्रोफेसर और पखावज वादक हैं, इस परंपरा को निर्बाध रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रो. मिश्र ने सभी भक्तों, संगीत प्रेमियों और काशीवासियों से इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति का उत्सव है, बल्कि विश्व स्तर पर शास्त्रीय संगीत और राम भक्ति का संदेश भी देता है।

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