Sawan 2025: श्रावण मास के पहले दिन शुक्रवार को काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भोर में मंगला आरती के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन का शुभारंभ हुआ और पूरे धाम परिसर में हर-हर महादेव के जयकारों की गूंज सुनाई दी। श्रद्धालुओं की आस्था का ऐसा दृश्य था कि पूरा परिसर भक्ति रस में सराबोर हो गया।

Sawan में इस विशेष अवसर पर मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति के अध्यक्ष व मंडलायुक्त एस राजलिंगम के नेतृत्व में श्रद्धालुओं का स्वागत पुष्पवर्षा से किया गया। भगवान विश्वनाथ की मंगला आरती के तुरंत बाद, बाबा विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और बैकुण्ठेश्वर के तीन शिखरों के सम्मुख शिखर आराधना करते हुए भक्तों पर पुष्पवर्षा की गई। इससे श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे।
पुष्पवर्षा का यह क्रम मंदिर परिसर में स्थित भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक जारी रहा, जिससे हरि-हर की काशी परंपरा को जीवंत किया गया। Sawan के प्रथम दिवस पर मां अन्नपूर्णा का अक्षत प्रसाद भी श्रद्धालुओं को पुष्प के साथ भेंटस्वरूप प्रदान किया गया।
Sawan के इस अवसर पर मंडलायुक्त एस राजलिंगम के साथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण तथा तहसीलदार मिनी एल शेखर भी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर भक्तों का स्वागत किया और आयोजन को भव्य स्वरूप प्रदान किया।
2024 में काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करने वालों की संख्या और Sawan की मान्यताएं

पिछले साल यानी 2024 में Sawan मास के दौरान काशी विश्वनाथ धाम में करीब 1.25 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे।
उत्तर प्रदेश सरकार और वाराणसी जिला प्रशासन के अनुसार,

- हर सोमवार को औसतन 5 से 7 लाख भक्त बाबा के दर्शन को पहुंचे।
- Sawan के अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन के आसपास यह संख्या 10 लाख से अधिक पहुंची थी।
- श्रावण सोमवारों के अलावा आम दिनों में भी प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ रही, खासकर बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और नेपाल से भारी संख्या में कांवड़िए आए थे।
- पुलिस और प्रशासन ने सावन 2024 के लिए विशेष ट्रैफिक व्यवस्था, ग्रीन कॉरिडोर और हेल्प डेस्क की व्यवस्था की थी।
सावन मास की धार्मिक मान्यताएं
- भगवान शिव का प्रिय मास:
हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव का अत्यंत प्रिय महीना माना गया है। इस Sawan माह में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, भांग आदि अर्पित कर पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। - श्रृंगार और उपवास की परंपरा:
विशेष रूप से महिलाएं सोमवार को व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। वहीं शिवालयों में पुरुष कांवड़ लाकर जलाभिषेक करते हैं। - सावन सोमवार का महत्व:
श्रावण (Sawan) मास के प्रत्येक सोमवार को “सोलह सोमवार व्रत” या “श्रावण सोमवार व्रत” रखने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। - कांवड़ यात्रा:
लाखों श्रद्धालु विभिन्न नदियों से गंगाजल लाकर पैदल चलते हुए शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। यह भक्ति और तपस्या का अद्भुत रूप माना जाता है। - हरि-हर परंपरा:
काशी में शिव (हर) और विष्णु (हरि) की संयुक्त आराधना की परंपरा रही है। सावन (Sawan) में यह विशेष रूप से दिखाई देती है, जब बाबा विश्वनाथ के साथ-साथ बद्रीनारायण मंदिर में भी दर्शन होते हैं।