Sawan 2025 : श्रावण मास (Sawan 2025) के पहले सोमवार को काशी में आस्था की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली। शहर के यादव समुदाय ने सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। परंपरागत परिधान में, आंखों में काजल और हाथों में गंगाजल लिए, सैकड़ों यादव बंधु शिवालयों की ओर रवाना हुए। ‘हर-हर महादेव’ के गगनभेदी जयघोष से पूरा विश्वनाथ धाम भक्तिमय हो उठा।
Sawan 2025 : कहां से शुरू होती है जलाभिषेक यात्रा?
यह विशेष यात्रा केदारघाट से शुरू होती है, जहां सबसे पहले गौरी केदारेश्वर को जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद श्रद्धालु तिलभांडेश्वर महादेव और दशाश्वमेध घाट से जल लेकर बाबा विश्वनाथ के दरबार में पहुंचते हैं। दर्शन और जलाभिषेक के बाद मृत्युंजय महादेव, त्रिलोचन महादेव, और काल भैरव को जल चढ़ाकर यात्रा का समापन होता है।

क्यों निभाई जाती है यह परंपरा?
इस परंपरा की जड़ें एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ी हैं। बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले जब देशभर में अकाल पड़ा था और बारिश के लिए लोग तरस रहे थे, तब काशी के यादव बंधुओं ने लोककल्याण के लिए विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक किया। उनकी आस्था से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वर्षा दी और जीवन फिर से हरा-भरा हो गया। तब से यह परंपरा हर साल सावन (Sawan 2025) के पहले सोमवार को निभाई जाती है।

93 वर्षों से अनवरत निभाई जा रही परंपरा
हालांकि इस परंपरा की शुरुआत को सैकड़ों साल (Sawan 2025) हो चुके हैं, लेकिन लिखित तौर पर इसे पिछले 93 वर्षों से लगातार निभाया जा रहा है।
