वाराणसी I वर्ष की अंतिम सोमवती अमावस्या पर सोमवार को लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और पितरों को तर्पण अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। सूर्योदय से पूर्व ही गंगा के तट पर श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। यह दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण, स्नान और पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और पितरों की पूजा से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही, आत्मशुद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए अनुष्ठान भी किए गए। गंगा के तट से लेकर पिशाचमोचन कुंड तक पितरों का तर्पण किया गया।
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर विशेष सावधानियां भी बरतनी चाहिए, जैसे कि मांस, मछली, मदिरा और प्याज-लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए और किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही, इस दिन सात्विक आहार ग्रहण कर शिव-पार्वती की पूजा और पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है।