नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को समान और पूरी पेंशन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की तारीख या उनके सेवा में आने के स्रोत के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार नहीं किया जा सकता।
Supreme Court मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि सभी सेवानिवृत्त जज, चाहे उन्होंने कितने ही वर्षों तक सेवा दी हो, ‘वन रैंक वन पेंशन’ सिद्धांत के अनुसार पूर्ण पेंशन पाने के अधिकारी होंगे। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सालाना 15 लाख रुपये और अन्य जजों को 13.50 लाख रुपये की पेंशन दी जाएगी। यहां तक कि जो एडिश्नल जज के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें भी समान पेंशन दी जाएगी।
Supreme Court ने यह भी आदेश दिया कि जिन न्यायाधीशों की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, उनके परिवार को ग्रैच्युटी का भुगतान किया जाए। सेवा की न्यूनतम अवधि पूरी की गई हो या नहीं, सेवा अवधि के साथ करियर की पूरी अवधि जोड़कर ग्रैच्युटी का निर्धारण किया जाएगा।
केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि सभी सेवानिवृत्त जजों को उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1954 के तहत वे सभी भत्ते दिए जाएं जिनमें अवकाश नकदीकरण, पेंशन कम्यूटेशन और भविष्य निधि शामिल हैं।