नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को ऑनलाइन अश्लील कंटेंट की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने केंद्र सरकार और 9 OTT-सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका गंभीर चिंता पैदा करती है और केंद्र को इस पर कदम उठाने की जरूरत है।
Supreme Court में याचिकाकर्ता, पत्रकार और पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने राष्ट्रीय कंटेंट नियंत्रण प्राधिकरण बनाने की मांग की है। उनका तर्क है कि OTT और सोशल मीडिया पर बिना फिल्टर के अश्लील कंटेंट युवाओं और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे क्राइम रेट बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि सस्ते इंटरनेट ने ऐसी सामग्री तक पहुंच को आसान बना दिया है, जो सामाजिक मूल्यों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने Supreme Court को बताया कि OTT और सोशल मीडिया कंटेंट के लिए कुछ नियम पहले से मौजूद हैं और सरकार नए नियमों पर विचार कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला कार्यपालिका और विधायिका के दायरे में है, लेकिन फिर भी नोटिस जारी किया जा रहा है। कोर्ट ने 21 अप्रैल को भी कहा था कि नियम बनाना केंद्र का काम है।
Supreme Court में याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में बताया कि सोशल मीडिया पर बिना जांच के आपत्तिजनक सामग्री चल रही है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है। जस्टिस गवई ने कहा कि बच्चों को व्यस्त रखने के लिए फोन दिए जाते हैं, जिससे वे ऐसी सामग्री के संपर्क में आते हैं।
केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया बिल लाने की तैयारी कर रही है, जो सोशल मीडिया और डिजिटल कंटेंट को विनियमित करेगा। 2021 में जारी IT नियमों में भी OTT और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस हैं, जिनमें ग्रीवांस ऑफिसर रखना और आपत्तिजनक कंटेंट पर कार्रवाई करना शामिल है।