वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सोमवार को “विश्वविद्यालय एवं इसके संबद्ध महाविद्यालयों में स्वयं-एनपीटीईएल पाठ्यक्रमों का एकीकरण एवं क्रियान्वयन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों और विद्यार्थियों को स्वयं-एनपीटीईएल प्लेटफॉर्म से जोड़कर डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना था।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि स्वयं-एनपीटीईएल जैसे प्लेटफॉर्म भारतीय शिक्षा प्रणाली में डिजिटल क्रांति ला रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस माध्यम से छात्र देशभर के शीर्ष शिक्षकों से ऑनलाइन पाठ्यक्रम कर सकते हैं, जिससे उनकी शैक्षणिक और व्यावसायिक दक्षता बढ़ेगी। साथ ही, नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के ऑनलाइन शिक्षा और हाइब्रिड कक्षाओं के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी यह सहायक सिद्ध होगा।

मुख्य वक्ता आईआईटी कानपुर की परियोजना वैज्ञानिक एवं लोकल चैप्टर समन्वयक डॉ. अंगना सेनगुप्ता ने स्वयं-एनपीटीईएल पाठ्यक्रमों के लाभ, पंजीकरण प्रक्रिया और शिक्षकों की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा के इस क्रांतिकारी बदलाव को अपनाने पर जोर दिया।

कार्यशाला के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की कि काशी विद्यापीठ और इसके संबद्ध महाविद्यालयों में स्वयं-एनपीटीईएल पाठ्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत शिक्षकों और विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
स्वागत भाषण एआईएसएचए के नोडल अधिकारी प्रो. निरंजन सहाय ने दिया, जबकि संचालन निदेशक-अकादमिक एवं नोडल अधिकारी-स्वयं डॉ. संदीप गिरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव दीप्ति मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य और नोडल अधिकारी उपस्थित रहे।