वाराणसी। काशी तमिल संगमम-3 में शामिल होने के लिए तमिलनाडु से पहला जत्था शनिवार को वाराणसी पहुंच गया। बनारस रेलवे स्टेशन पर रेड कारपेट बिछाकर शिक्षकों, लेखकों और छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
जिलाधिकारी एस. राजलिंगम, प्रशासनिक अधिकारी, आईआरसीटीसी के अधिकारी, भाजपा काशी क्षेत्र अध्यक्ष दिलीप पटेल और भाजपा एमएलसी धर्मेंद्र राय सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने ‘वणक्कम’ कहकर मेहमानों की अगवानी की। फूलों की मालाओं से स्वागत के बाद उन्हें लग्जरी बसों से होटलों तक पहुंचाया गया।

तमिल मेहमान होटल में विश्राम और नाश्ते के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद मां विशालाक्षी और अन्नपूर्णा मंदिर में भी श्रद्धालु दर्शन करेंगे। फिर यह दल गंगा मार्ग से नमो घाट के लिए प्रस्थान करेगा, जहां अपराह्न में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान काशी तमिल संगमम 3 का भव्य शुभारंभ करेंगे।

इस बार काशी तमिल संगमम की थीम “ऋषि अगस्त्य और महाकुंभ 2025” रखी गई है। नमो घाट पर काशी और तमिल संस्कृति से जुड़े 75 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें ऋषि अगस्त्य की प्राचीन चिकित्सा पद्धति सिद्धा चिकित्सा के भी चार विशेष स्टॉल शामिल हैं।

तमिलनाडु से कुल 1,200 मेहमानों को छह जत्थों में वाराणसी लाया जाएगा, जिनमें प्रत्येक जत्थे में 200 लोग शामिल होंगे। इन मेहमानों को तमिल महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के हनुमान घाट स्थित घर और म्यूजियम का भी भ्रमण कराया जाएगा, जिससे सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा किया जा सके।


केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (Twitter) पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने लिखा कि “काशी तमिल संगमम विविधता में एकता को दर्शाने और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने का माध्यम बन रहा है।” प्रधान ने पीएम मोदी के संदेश को भी साझा किया, जिसमें उन्होंने इस संगमम को “सदियों पुराने संबंधों का जीवंत उत्सव” बताया।
काशी तमिल संगमम 3 के जरिए वाराणसी और तमिल संस्कृति के बीच ऐतिहासिक जुड़ाव को और गहरा करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इस आयोजन से दोनों संस्कृतियों के बीच आपसी संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
