वाराणसी। तानसेन संगीत समारोह के तहत मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ में एक संगोष्ठी आयोजित की गई। यह संगोष्ठी संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी। मुख्य वक्ता डॉ. अमरीश चंचल ने कहा कि तानसेन जैसा संगीतज्ञ न कोई था, न भविष्य में होगा।
प्रो. संजय वर्मा ने तानसेन के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आधुनिक युग में संगीत को संजोकर रखना शिक्षकों का कार्य है और तानसेन ने ध्रुपद संगीत में अभूतपूर्व योगदान दिया। अध्यक्षता करते हुए प्रो. वंदना ने कहा कि ग्वालियर और काशी घराने ने संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने तानसेन की गायकी की सराहना करते हुए यह भी बताया कि रीवा के राजा राम सिंह ने तानसेन को उनकी गायकी के लिए एक करोड़ की मुद्रा पुरस्कार स्वरूप दी थी।

संगोष्ठी के बाद, तानसेन के जीवन पर आधारित दो दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का समापन हुआ, जिसमें तानसेन की 12 कृतियों का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला में अक्षत कुमार सिंह, जय गुप्ता, आशीष विश्वकर्मा, आदर्श मिश्रा और अन्य कलाकारों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. आकांक्षा ने किया और स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने किया।