Theater Artist: समाज का सच्चा कलरिस्ट होता है रंगकर्मी

रंगकर्मी (Theater Artist) ‘सलीम राजा’ से साक्षात्कार

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एक रंगकर्मी (Theater Artist) की कहानी, जो हर नाटक के साथ अपनी ज़िन्दगी के रंग बिखेरती है और समाज को एक नया दृष्टिकोण दिखाने का प्रयास करती है। एक शहर काशी, जहाँ रंगमंच की परछाइयाँ देखने को मिलती हैं। यहाँ के रंगकर्मी, “सलीम राजा”, अपनी ज़िन्दगी के हर पल को रंगमंच पर उतारते हैं। वह एक साधारण परिवार से हैं, लेकिन उनके दिल में कला के लिए एक गहरा प्यार है।

इनकी कहानी सिर्फ रंगमंच तक सीमित नहीं है। वह समाज में बदलाव लाने के लिए भी काम करते हैं। वह अपने नाटकों के माध्यम से लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के बारे में जागरूक करते हैं। कहानी हमें सिखाती है कि कला सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली माध्यम है जिससे हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। वह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अपने सपनों के पीछे भागना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। रंगमंच के प्रति गहरा प्यार कला के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास है।

Theater Artist: समाज का सच्चा कलरिस्ट होता है रंगकर्मी Theater Artist: समाज का सच्चा कलरिस्ट होता है रंगकर्मी

शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता संघर्षों से हार न मानने की प्रेरणा देती यह कहानी हमें सिखाती है कि एक Theater Artist सिर्फ एक कलाकार नहीं होता, बल्कि वह एक समाज सुधारक भी होता है। जब कोई कलाकार किसी कला के रूप के बारे में सोचता है और दृढ़तापूर्वक उसे जीवन में लाता है जो उसका जीवन भी इसका हिस्सा बन जाता है। वास्तविकता और कल्पना के बीच की पतली रेखा इस कदर घुंधला जाती है कि उसके कला जीवन और दैनिक जीवन को अलग करना मुश्किल हो जाता है।

सलीम राजा द्वारा प्रस्तुत कुछ नाट्य मंचन जैसे ‘मोह ‘जिसमें इन्होंने बुजुर्गों के दर्द के सफर का चित्रण किया है और साथ ही चर्चित नाटक बुढी काकी

प्रश्न -एक पत्रकार से Theater Artist तक का सफर आपने कैसे तय किया?

उत्तर :- रंगकर्म करना मुझे बहुत अच्छा लगता था या यूं कहें मेरा पैशन था। पत्रकारिता में आने के बाद यह शौक ख़त्म नहीं हुआ बल्कि बढ़ गया और मैं इससे समय निकाल कर समय-समय पर रंगकर्म करता रहा। घर वालों से ख़ास कर पिता जी से बहुत डाट सुनी और घर से धकियाया गया। मेरे घर के बगल में कब्रिस्तान है, घर से निकाले जाने के बाद एक पक्की मज़ार से लगे चबूतरे पर सोया हूँ। कहा जाता है ना जिसपर श्याम रंग चढ़ गया ,उसपर दूसरा रंग नहीं चढ़ सकता। कमोबेश यही हाल मेरा भी हुआ है। एक बात ज़रूर है कि मेरी पत्नी का मौन समर्थन मुझे मिलता रहा और खामोशी के साथ मैं अपना रंगकर्म करता रहा।

प्रश्न -एक Theater Artist को एक कलरिस्ट भी कहा जाता है। इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर :- समाज की विभिन्न समस्याओं के कैनवास पर एक रंगकर्मी विविध रंग भरता है, मैं ये मानता हूँ कि एक रंगकर्मी समाज का सच्चा कलरिस्ट ही होता है। बस माध्यम का फ़र्क है।

प्रश्न -रंगमंच पर कदम रखने के पीछे आपका क्या उद्देश्य है?

उत्तर :- जाहिर है, अपनी कला की, सृजन की और कुछ नया करने की भूख शांत करना।

प्रश्न -एक रंग कर्मी किस तरीके से लोगों के जीवन को निखारता है?

उत्तर :- देखिए Theater Artist एक सृजनशील समाज का निर्माण करता है। वह जीवन विभिन्न समस्याओं और संकटों का निवारण अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से करता है जिससे एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण हो सके। इसी तरह रिहर्सल के दौरान कलाकारों के साथ एक तरह के प्रगाढ़ संबंध बनते हैं जो स्थापित और घिसे-पिटे सामाजिक मूल्यों को ध्वस्त कर नए और रचनात्मक मूल्य स्थापित करते हैं जो जीवन को निखारने का काम करता है।

प्रश्न – आज की युवा पीढ़ी को आप क्या संदेश देना चाहेंगे और उनके लिए थिएटर क्यों जरूरी है?

उत्तर :- जीवन के सही और सार्थक मूल्यों के लिए थिएटर बहुत आवश्यक है। थिएटर युवाओं को जीवन के अनुसाशन सिखाता है । उन्हें सही -गलत की पहचान कराता है । सबसे बड़ी बात है कि उनके स्वयं की पहचान कराता है। युवा पीढ़ी को Theater से ज़रूर जुड़ना चाहिए। यह समय की मांग है।

प्रश्न- काशी में इस परंपरा को जीवित रखने के लिए आगे आपका क्या कदम होगा?

उत्तर :- हम काशी में इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए योगदान करना चाहते हैं और कर रहे हैं । हम इस संबंध में युवाओं को इससे जोड़ने के लिए “वर्कशॉप” और सेमिनार आयोजित करेंगे।

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