तिब्बत में भीषण भूकंप: 53 लोगों की मौत, 62 घायल; भारत के कई राज्यों में महसूस हुए झटके

तिब्बत में मंगलवार को जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप में अब तक 53 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 62 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। चीन भूकंप नेटवर्क केंद्र (सीईएनसी) के अनुसार, यह भूकंप सुबह 9:05 बजे आया, जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई।


चीन में भारी तबाही का मंजर
चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, भूकंप का केंद्र तिब्बत के शिजांग शहर के डिंगरी काउंटी में था। इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। भूकंप से प्रभावित इलाकों में कई इमारतें ढह गईं और बड़ी संख्या में लोग अपने घरों को छोड़कर खुले स्थानों की ओर भागे।

इससे पहले, सुबह 6:30 बजे 7.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जो 10 किमी गहराई पर आया। इसके बाद, 7:02 बजे 4.7 तीव्रता, 7:07 बजे 4.9 तीव्रता और 7:13 बजे 5.0 तीव्रता के झटके महसूस किए गए।

तिब्बत में भीषण भूकंप: 53 लोगों की मौत, 62 घायल; भारत के कई राज्यों में महसूस हुए झटके तिब्बत में भीषण भूकंप: 53 लोगों की मौत, 62 घायल; भारत के कई राज्यों में महसूस हुए झटके

भारत में भी महसूस हुए झटके
इस भूकंप के झटके भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए। बिहार, असम, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटकों से लोग घरों से बाहर निकल आए। भारतीय राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी) के अनुसार, भूकंप का केंद्र भारत से सटे लोबुचे से 93 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित था।


भूकंप का कारण और वैज्ञानिक विश्लेषण
भूकंप पृथ्वी के भीतर प्लेटों की हलचल के कारण होता है। पृथ्वी के अंदर सात मुख्य प्लेटें हैं, जो लगातार गतिशील रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो दबाव बढ़ने से ऊर्जा का विस्फोट होता है। यह ऊर्जा भूकंप के रूप में बाहर निकलती है।

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तिब्बत में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। डिंगरी काउंटी और आसपास के इलाकों में आपातकालीन टीमें भेजी गई हैं। स्थानीय प्रशासन ने भूकंप प्रभावित इलाकों में मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं।


भारत के लिए सतर्कता का संदेश
भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में भूकंप का प्रभाव महसूस किया गया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी क्षेत्र में भी भूकंप का खतरा बना हुआ है। लोगों को सतर्क और जागरूक रहने की सलाह दी गई है। इस भूकंप ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयार रहना कितना जरूरी है। सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों को ऐसे खतरों से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को और मजबूत करना चाहिए।

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