मिथिलेश कुमार पाण्डेय
यूरोपीय देशों के आर्थिक प्रभुत्व और विवेकाधिकारी निर्णयों के विकल्प के रूप में देशों के एक संगठन की जरूरत को पूरा करने के लिए ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका ने इस संगठन की शुरुआत की जिसकी पहली बैठक 16 जून 2006 को शहर येकतेरिन्बुर्ग ( Yekaterinburg ) में हुई। 13 वर्षों के अन्तराल के बाद अगस्त 2023 के जोहान्सबर्ग सम्मलेन में मिश्र, इथियोपिया, ईरान और यूनाइटेड अरब अमीरात को इस संगठन में शामिल किया गया और अब इसे BRICS+ के नाम से जाना जाता है। इस संगठन का मुख्यालय चीन के शहर शंघाई में स्थित है। सदस्य देश मिलकर विश्व के 30% क्षेत्रफल और लगभग 45% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
विश्व के GDP में इस संगठन का लगभग 27% और विश्व व्यापार में करीब 16% हिस्सेदारी है। यह संगठन विश्व के विकसित अग्रणी अर्थव्यवस्था G7 का एक मजबूत भू राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी है। मार्च 2013 में अपने डरबन सम्मलेन में सदस्य देशों ने आम सहमति से एक वैश्विक वित्तीय संस्थान तैयार करने का निर्णय लिया जो पाश्चात्य देशों के प्रभुत्व वाली संस्थाओं जैसे अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक के साथ समन्वय स्थापित करके सदस्य देशों के आर्थिक हितों का ख्याल रख सके। 2014 के ब्राज़ील सम्मलेन में हुए समझौते के तहत न्यू डेवलपमेंट बैंक का गठन हुआ और 10000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुद्रा भंडार बनाने का निर्णय हुआ। मुद्रा भंडार में चीन ने 4100 करोड़, ब्राज़ील, इंडिया और रूस 1800 करोड़ तथा साउथ अफ्रीका ने 500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान किया। चूँकि इसमें चीन का योगदान सबसे ज्यादा था। इसलिए इस फण्ड के प्रबंधन में चाइना की भूमिका ज्यादा रही। इस बैंक का मुख्यालय शंघाई चीन में तथा क्षेत्रीय कार्यालय जोहान्सबर्ग,सो पाउलो ( ब्राज़ील ) गिफ्ट सिटी अहमदाबाद और मास्को में है। न्यू डेवलपमेंट बैंक के पहले चेयरमैन भारत के केवी कामथ बने थे।

BRICS शिखर सम्मलेन अबतक 15 बार हो चूका है और यह सोलहवां सम्मलेन रूस में हो रहा है। इसके पहले ब्राज़ील में 3 बार ( 2010, 2014, 2019 ), रूस में 3 बार ( 2009, 2015, 2020), इंडिया में 3 बार ( 2012, 2016, 2021) चीन में 3 बार ( 2011, 2017, 2022) तथा साउथ अफ्रीका में 3 बार ( 2013, 2018, 2023) शिखर सम्मलेन हुआ है। अगला सम्मलेन 2025 ब्राज़ील में होगा।