Lucknow : बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने साल 2027(UP Election 2027) के विधानसभा चुनावों से पहले ओबीसी (Other Backward Classes) कार्ड खेलते हुए नए सियासी समीकरण बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। बसपा अब दलितों के साथ-साथ पिछड़े वर्ग (OBC) को भी अपने साथ जोड़ने की रणनीति बना रही है। इसी कड़ी में भाईचारा कमेटियों का गठन किया गया है, जिनका उद्देश्य पिछड़े समाज को बसपा से जोड़ना होगा।

बसपा की इस रणनीति पर समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आमीक जमई ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मायावती का जहाज डूब चुका है और कांशीराम जी के आंदोलन को बचाने के लिए अखिलेश यादव ने 2019 में गठबंधन किया था। लेकिन मायावती ने हमेशा समाजवादी पार्टी को कमजोर करने का काम किया। साथ उन्होंने यह भी कहा कि आज दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर बसपा चुप है, जबकि अखिलेश यादव ही नए कांशीराम बनकर पिछड़ों और दलितों की लड़ाई लड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जब मायावती सत्ता में थीं, तब उन्होंने पिछड़ों के लिए कुछ नहीं किया। अब चुनाव से पहले नए-नए दांव खेल रही हैं, लेकिन जनता अब इन बातों में नहीं आने वाली। बीजेपी प्रवक्ता संजय चौधरी ने बसपा की इस रणनीति को हताशा भरा कदम बताया। बसपा सिर्फ वर्ग विशेष की राजनीति करती है, जबकि बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है – सबका साथ, सबका विकास। बसपा जितने भी नए प्रयोग कर ले, जनता अब इन्हें नकार चुकी है।

बसपा के बदलते सियासी प्रयोग: 2007 से 2027 तक :-
- 2007 में ब्राह्मण-दलित गठजोड़(Brahmin-Dalit alliance): बसपा ने ब्राह्मणों को साथ लेकर सत्ता हासिल की।
- 2014 में मुस्लिम कार्ड: बसपा ने मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की, लेकिन हाशिए पर चली गई।
- 2019 और 2022 के प्रयोग: अलग-अलग गठबंधन किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
- 2027 में ओबीसी कार्ड: अब देखना होगा कि मायावती का ओबीसी प्रेम उन्हें राजनीतिक फायदा दिला पाता है या नहीं।