लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों का असर स्पष्ट नजर आ रहा है। वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और कर संग्रहण व्यवस्था में किए गए व्यापक सुधारों के चलते उत्तर प्रदेश के नगर निकायों (UP Nagar Nigam) के स्वयं स्रोत राजस्व में 44.5 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2021-22 में जहां निकायों ने 2494 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 5568 करोड़ रुपये के पार पहुँच गया है।
प्रदेश के 17 नगर निगमों (UP Nagar Nigam) ने कुल राजस्व प्राप्ति में 82 प्रतिशत यानी लगभग 4586 करोड़ रुपये का योगदान दिया। इनमें सर्वाधिक संग्रहण लखनऊ नगर निगम ने किया, जिसने 1355.32 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद कानपुर नगर निगम ने 720.62 करोड़ रुपये, गाजियाबाद ने 609.89 करोड़, प्रयागराज ने 327.83 करोड़ रुपये का संग्रह किया। आगरा, वाराणसी, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गोरखपुर नगर निगम ने भी 100 करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व प्राप्ति की।
नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों का योगदान:
नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों ने कुल राजस्व का 18 प्रतिशत अर्जित किया। वर्तमान वित्तीय वर्ष में नगर पालिका परिषदों ने 732 करोड़ रुपये तथा नगर पंचायतों ने 250 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया।
सुधारों का प्रभाव:
नगर विकास विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप शहरी विकास और वित्तीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। स्वयं स्रोत राजस्व संग्रहण में गैर-कर आधारित आय का योगदान 42 प्रतिशत रहा। इसके साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर की गई सख्त कार्रवाई के तहत 4.24 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया।
निगमों का प्रदर्शन:
प्रदेश के सभी नगर निगमों (UP Nagar Nigam) ने इस वित्तीय वर्ष में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस सफलता का श्रेय निकायों के कार्यशैली में पारदर्शिता, कर संग्रहण में सख्ती और तकनीकी साधनों के बेहतर उपयोग को दिया जा रहा है।