यूपी में योगी सरकार के निर्देशों की अनदेखी पड़ेगी महंगी, 1.5 लाख कर्मियों का वेतन रोकने की तैयारी

उत्तर प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देशों का पालन न करना अब कई सरकारी कर्मचारियों को भारी पड़ सकता है। वे सरकारी कर्मी जिन्होंने बार-बार चेतावनी के बावजूद अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, उन्हें अब कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश में ऐसे लगभग 1.43 लाख कर्मचारी अब भी बाकी हैं, और सरकार ने उनके वेतन पर रोक लगाने की योजना बनाई है।

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28 फरवरी तक संपत्ति विवरण देना अनिवार्य

सरकार ने 28 फरवरी की अंतिम तिथि तय की है, जिसके भीतर सभी राज्य कर्मचारियों को अपनी संपत्तियों का विवरण दर्ज करना होगा। यदि वे दिसंबर 2025 तक भी संपत्ति संबंधी जानकारी पोर्टल पर अपडेट नहीं करते हैं, तो मार्च 2025 से उनका वेतन रोक दिया जाएगा।

17% कर्मचारियों ने नहीं किया नियमों का पालन

उत्तर प्रदेश में कुल 8,33,510 सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं। यूपी सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत सभी श्रेणियों के राज्य कर्मचारियों को 15 फरवरी तक अपनी संपत्ति का ब्योरा देना था। हालांकि, अब तक 6,89,826 कर्मचारियों ने ही इस नियम का पालन किया है, जो कुल संख्या का 83% है। लेकिन अभी भी 1,43,684 कर्मियों ने मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति की जानकारी दर्ज नहीं की है।

मुख्य सचिव की सख्त चेतावनी

प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों द्वारा नियमों की अनदेखी पर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई है। इसके बाद सभी विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं कि 28 फरवरी तक सभी शेष कर्मचारी अपनी संपत्ति का विवरण जमा करें। अन्यथा, मार्च से उनका वेतन रोक दिया जाएगा।

मुख्य सचिव ने विभागाध्यक्षों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है कि निर्धारित समय सीमा तक सभी कर्मचारी अपनी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करें। यदि निर्देशों की अनदेखी जारी रहती है, तो शासन प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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