राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति (US Tariff) ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि जहां इससे वैश्विक व्यापार में गिरावट का खतरा मंडरा रहा है, वहीं भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह नीति एक बड़ा अवसर बन सकती है।

अमेरिका की टैरिफ (शुल्क) नीति को लेकर दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उठाए गए टैरिफ कदमों ने न केवल अमेरिका-चीन जैसे प्रमुख आर्थिक शक्तियों के बीच तनाव बढ़ाया है, बल्कि इसका सीधा असर वैश्विक व्यापार प्रणाली पर पड़ता दिख रहा है। हालांकि इस संकट में भारत जैसे देशों के लिए अवसर भी छिपे हैं।

संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र (ITC) की कार्यकारी निदेशक पामेला कोक-हैमिल्टन ने जिनेवा में चेतावनी दी कि अमेरिकी टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार में 3 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो अगले कुछ वर्षों में वैश्विक व्यापारिक रुझान स्थायी रूप से बदल सकते हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है, वैसे-वैसे निर्यात के पारंपरिक केंद्र जैसे मेक्सिको और वियतनाम नए बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। वियतनाम अब मध्य पूर्व, यूरोप और कोरिया जैसे क्षेत्रों में अपने व्यापारिक अवसर तलाश रहा है, जबकि मेक्सिको का फोकस अब कनाडा और ब्राजील की ओर बढ़ रहा है।
कोक-हैमिल्टन का मानना है कि भारत जैसे विकासशील देश इस नई व्यापारिक व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं। खासतौर पर कपड़ा उद्योग जैसे क्षेत्रों में भारत के लिए वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका बन सकता है। उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेश पर 37% का जवाबी टैरिफ लागू हुआ तो उसे अमेरिका में अपने कपड़ा निर्यात में 3.3 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है—ऐसी स्थिति भारत के लिए अवसर बन सकती है।
2040 तक जीडीपी पर प्रभाव
फ्रांसीसी थिंक टैंक CEPII की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा टैरिफ और संभावित जवाबी कदमों से 2040 तक वैश्विक जीडीपी में 0.7% तक की गिरावट आ सकती है। इस गिरावट का असर अमेरिका, चीन, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ भारत पर भी पड़ेगा, लेकिन भारत की लो-कॉस्ट मैन्युफैक्चरिंग क्षमता इसे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिला सकती है।
एपल और अमेरिकी कंपनियों की चुनौती
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर अमेरिकी कंपनियों पर भी दिखने लगा है। उदाहरण के तौर पर, एपल को पहली बार अमेरिका में आईफोन निर्माण पर विचार करना पड़ रहा है। अब तक एपल का अधिकांश उत्पादन चीन में होता रहा है, लेकिन चीन से आयात किए गए फोन पर 145% टैरिफ लगने की संभावना है। इससे आईफोन की लागत तीन गुना तक बढ़ सकती है।
वेडबश सिक्योरिटीज के विश्लेषक डैन इव्स ने कहा कि यदि आईफोन का निर्माण अमेरिका में किया गया, तो एक फोन की कीमत 3,000 डॉलर से ज्यादा हो सकती है, जो वर्तमान कीमत से तीन गुना है। उनका मानना है कि यह बदलाव 2028 से पहले व्यावहारिक नहीं हो पाएगा।
एशिया सोसाइटी की चेतावनी
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की उपाध्यक्ष वेंडी कटलर का कहना है कि चीन टैरिफ के इस युद्ध से पीछे नहीं हटेगा, बल्कि यह द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को लंबे समय के लिए प्रभावित करेगा। विशेषज्ञ डैनियल रसेल ने कहा कि चीन दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रहा है और उन्हें विश्वास है कि अमेरिका की आंतरिक दबाव की वजह से यह टैरिफ नीति धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगी।
जहां एक ओर ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार के लिए खतरा बनकर उभर रही है, वहीं भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह सुनहरा अवसर भी बन सकता है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन में भारत यदि अपने उत्पादन, निर्यात और व्यापारिक नीति को रणनीतिक रूप से मजबूत करता है, तो वह वैश्विक बाजार में बड़ी भूमिका निभा सकता है।