वाराणसी। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और शिल्प कौशल को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक और विशिष्ट उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) GI Tag का प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस दौरान काशी क्षेत्र की कला, स्वाद और परंपराओं से जुड़े कई उत्पादों को वैश्विक पहचान मिली।
काशी बना GI Tag का केंद्र, बनारसी तबला और भरवा मिर्च को पहचान
वाराणसी की दो अनोखी पहचान — बनारसी तबला और भरवा मिर्च — को GI Tag मिलना काशी की सांस्कृतिक समृद्धि की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। बनारसी तबला जहां संगीत जगत में विशेष स्थान रखता है, वहीं भरवा मिर्च अपने अनूठे स्वाद के कारण देशभर में लोकप्रिय है।
वाराणसी के अन्य उत्पाद भी शामिल
काशी के शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी, म्यूरल पेंटिंग और चिरईगांव का करौंदा जैसे पारंपरिक उत्पादों को भी GI Tag प्राप्त हुआ है। यह टैग न केवल कानूनी संरक्षण प्रदान करता है, बल्कि इन उत्पादों की ब्रांड वैल्यू को भी बढ़ाता है।
प्रदेश के अन्य क्षेत्रों को भी मिली पहचान
बरेली, मथुरा, बुंदेलखंड, चित्रकूट, आगरा और जौनपुर जैसे क्षेत्रों के भी उत्पाद GI टैग की सूची में शामिल हुए हैं। इनमें बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी, टेराकोटा, मथुरा की सांझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड का काठिया गेहूं, पीलीभीत की बांसुरी, चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश बना देश का GI टैग लीडर
अब कुल 77 GI टैग उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। अकेले काशी क्षेत्र में 32 GI टैग हैं, जिससे यह दुनिया का GI हब बन गया है। GI टैग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत के अनुसार, काशी क्षेत्र से जुड़े लगभग 20 लाख लोग और 25,500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार इस उपलब्धि का प्रमाण हैं।
कारीगरों और किसानों को मिलेगा लाभ
GI टैग से उत्पादों की मौलिकता की रक्षा होती है और किसानों, शिल्पकारों व स्थानीय कारीगरों को बेहतर मूल्य, ब्रांडिंग और विपणन के अवसर मिलते हैं। इससे रोजगार के नए रास्ते भी खुलते हैं। योगी सरकार की ‘एक जिला, एक उत्पाद (ODOP)’ नीति के चलते उत्तर प्रदेश GI टैग में अग्रणी बना हुआ है।