लखनऊ I उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने आपदा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी, वैज्ञानिक और समन्वित बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में लखनऊ में संपन्न इस समझौते के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों, 15 विभागों और 20 प्रमुख शहरों में आपदा प्रबंधन योजनाएं लागू की जाएंगी। इस पहल के लिए अगले तीन वर्षों में 19.99 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, जो उत्तर प्रदेश को आपदा प्रबंधन में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

समझौते का उद्देश्य और कार्यान्वयन
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) मे हो रहे इस समझौते का मुख्य उद्देश्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) को बढ़ावा देना और संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ करना है। इसके तहत
जिलों और विभागों में योजनाएं सभी 75 जिलों और 15 विभागों, जैसे स्वास्थ्य, सिंचाई और शहरी विकास के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार की जाएंगी।
शहरी क्षेत्रों पर फोकस: लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर जैसे 20 प्रमुख शहरों में जोखिम मानचित्रण और शहरी आपदा प्रबंधन योजनाएं विकसित होंगी।
तकनीकी और प्रशिक्षण: राहत आयुक्त कार्यालय में एक परियोजना प्रबंधन यूनिट स्थापित होगी और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के साथ-साथ सूचना-प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
जलवायु अनुकूलन: वैश्विक मानकों के साथ स्थानीय जरूरतों को जोड़कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की रणनीति बनाई जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा, आपदा प्रबंधन आज की सबसे बड़ी प्रशासनिक प्राथमिकता है। तकनीकी दक्षता, प्रशिक्षण और पूर्व तैयारी के समन्वय से हम आपदा के प्रभाव को कम कर सकते हैं। UNDP के साथ यह साझेदारी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन में अग्रणी बनाएगी।

फायदे
जीवन और संपत्ति की सुरक्षा: बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने में यह योजना कारगर होगी। उदाहरण के लिए हाल की बाढ़ में 40 जिलों में हुए नुकसान को देखते हुए यह कदम समय की मांग है।
सशक्त प्रशासन: जिला और विभागीय स्तर पर योजनाएं स्थानीय प्रशासन को सशक्त करेंगी, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव होगी।
वैश्विक मानक: UNDP का तकनीकी सहयोग उत्तर प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर की आपदा प्रबंधन क्षमता प्रदान करेगा।
दीर्घकालिक प्रभाव: प्रशिक्षण और जोखिम मानचित्रण से भविष्य में आपदाओं से निपटने की क्षमता बढ़ेगी।
चुनौतियां और संभावित नुकसान
वित्तीय दबाव: 19.99 करोड़ रुपये का बजट अन्य क्षेत्रों जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य, पर संसाधनों का दबाव डाल सकता है।

कार्यान्वयन में जटिलता: इतने बड़े पैमाने पर 75 जिलों और 20 शहरों में समन्वय एक चुनौती हो सकता है। यदि स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण या संसाधन अपर्याप्त रहे तो योजना का प्रभाव कम हो सकता है।
क्षेत्रीय भिन्नताएं: उत्तर प्रदेश में बाढ़ और सूखा जैसे जोखिम क्षेत्र-विशिष्ट हैं। एक सामान्य योजना सभी क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती।
निगरानी की आवश्यकता: पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी जरूरी होगी, अन्यथा भ्रष्टाचार या देरी योजना को कमजोर कर सकती है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया
वर्तमान में इस समझौते पर किसी प्रमुख विपक्षी नेता की विशिष्ट प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं है। हालांकि, समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसे विपक्षी दल अतीत में योगी सरकार की आपदा प्रबंधन नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं। उदाहरण के लिए 2024 में बाढ़ के दौरान विपक्ष ने राहत कार्यों की गति और मुआवजे के वितरण में देरी की आलोचना की थी। इस समझौते पर भी विपक्ष बजट के उपयोग, ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान और कार्यान्वयन की पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर सवाल उठा सकता है। यदि भविष्य में कोई प्रतिक्रिया सामने आती है, तो यह संभावना है कि विपक्ष इस योजना को प्रचार-केंद्रित बताकर इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।
योगी सरकार और UNDP के बीच यह समझौता उत्तर प्रदेश में आपदा प्रबंधन को एक नया आयाम देगा। 19.99 करोड़ रुपये के निवेश और वैश्विक विशेषज्ञता के साथ यह पहल जीवन और संपत्ति की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, इसकी सफलता कार्यान्वयन की दक्षता, स्थानीय अनुकूलन और पारदर्शी निगरानी पर निर्भर करेगी। यह कदम उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को आपदा प्रबंधन में एक मॉडल राज्य बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।

संपर्क: यदि आप इस खबर पर और जानकारी चाहते हैं, तो राहत आयुक्त कार्यालय, उत्तर प्रदेश या UNDP की आधिकारिक वेबसाइट पर संपर्क करें।