Varanasi: काशीवासियों के लिए एक नई सांस्कृतिक धरोहर के रूप में “संगीत पाथवे” का निर्माण अंतिम चरण में है। उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने शनिवार को निर्माणाधीन पाथवे का निरीक्षण करते हुए बताया कि यह अनोखा पथ जल्द बनारस को समर्पित किया जाएगा।
डेढ़ किलोमीटर लंबी “संगीत पाथवे”
फुलवरिया तिराहा से सेंटर जेल की दीवार के समांतर शिवपुर में लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी और 15 फीट चौड़ी यह पाथवे बनारसी संगीत और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है। मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस परियोजना का लगभग 90% कार्य पूर्ण हो चुका है और शेष कार्य को युद्ध स्तर पर पूर्ण किया जा रहा है।
बनारस घराने के संगीत से गूंजेगी पाथवे
इस पाथवे की खासियत यह है कि यहां बनारस घराने के संगीत लगातार सुनाई देंगे, जिससे राहगीरों को एक अनोखा अनुभव मिलेगा। इसके साथ ही शहनाई, तबला, शेखावती जैसे वाद्य यंत्र भी लगाए गए हैं, जिन्हें पर्यटक न सिर्फ देख सकेंगे बल्कि स्वयं बजाकर भी महसूस कर सकेंगे। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने इन वाद्य यंत्रों को मौके पर खुद बजाकर परखा।
संगीत मनीषियों के चित्र और जीवन परिचय से सजेगा पथ

पाथवे की दीवारों पर बनारस के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञों के चित्रों और उनके जीवन चरित्र को दर्शाया गया है। इससे युवाओं और संगीत प्रेमियों को भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं: मंत्री
निरीक्षण के दौरान मंत्री जायसवाल ने विकास प्राधिकरण के वीसी पुलकित गर्ग और कार्यदायी संस्था के अभियंताओं के साथ समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि शेष कार्य को जल्द और पूरी गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए, ताकि इस संगीत पाथवे को जनता के लिए शीघ्र खोला जा सके।
सांस्कृतिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
“संगीत पाथवे” बनारस को न केवल एक नया सांस्कृतिक स्थल देगा बल्कि यह संगीत पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में यह परियोजना बनारस की परंपरा को आधुनिक स्वरूप में संजोने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
