Varanasi : निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों पर थोपे जा रहे आर्थिक बोझ और मनमानी के खिलाफ वाराणसी जिला/महानगर कांग्रेस कमेटी और कांग्रेस जनों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल को संबोधित 6 सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी के प्रतिनिधि कैंट इंस्पेक्टर को सौंपा।

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सीबीएसई, यूपी बोर्ड और आईसीएसई से संबद्ध निजी विद्यालय शिक्षा को व्यवसाय बना चुके हैं। वे मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हैं, महंगी किताबें और बार-बार ड्रेस बदलवाकर अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं।
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महत्वपूर्ण माँगें:
एनसीईआरटी/एससीईआरटी की किताबों को अनिवार्य किया जाए, निजी प्रकाशकों की किताबों की अनिवार्यता पर रोक लगे।
स्कूलों द्वारा बार-बार ड्रेस बदलवाने की परंपरा पर रोक लगे।
शुल्क वृद्धि और अन्य चार्जेज को नियंत्रित किया जाए।
शिक्षकों को उचित वेतन मिले और कर चोरी की जांच की जाए।
फीस निर्धारण के लिए एक नियामक समिति का गठन हो, जिसमें अभिभावक प्रतिनिधि भी शामिल हों।

शिक्षा विभाग की वेबसाइट बने जिसमें सभी स्कूलों की ड्रेस, किताबें और फीस की जानकारी उपलब्ध हो और शिकायत दर्ज करने की सुविधा हो।
इस मौके पर जिला अध्यक्ष राजेश्वर पटेल ने कहा कि “स्कूल संचालक शिक्षा को व्यवसाय बनाकर कर चोरी कर रहे हैं और अभिभावकों को आर्थिक रूप से लूट रहे हैं। यदि माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस जन अभिभावकों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे।”
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से राघवेन्द्र चौबे, फ़साहत हुसैन बाबू, डॉ. राजेश गुप्ता, सतनाम सिंह, अशोक सिंह, मनीष मोरोलिया, दिलीप चौबे, पीयूष श्रीवास्तव, प्रमोद वर्मा, हसन मेहदी कब्बन, कुँवर यादव, राजेन्द्र गुप्ता, खालिद सिद्दीकी, चक्रवर्ती पटेल सहित सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल रहे।
कांग्रेस का यह कदम निजी विद्यालयों की मनमानी के खिलाफ एक बड़ा जनआंदोलन बनने की दिशा में पहला प्रयास माना जा रहा है।