Varanasi : वाराणसी की एक अदालत ने दहेज प्रताड़ना के मामले में एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के दोषी पाए गए पति और सास को पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, दोनों दोषियों पर ₹10,000-₹10,000 का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है।
यह फैसला अपर एवं सत्र न्यायाधीश / दुगामी न्यायालय-1 वाराणसी ने मुकदमा संख्या 229/2018 में सुनाया। आरोपित पति विष्णु जायसवाल और सास उर्मिला देवी को IPC की धारा 306, 498A तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम (3/4 डीपी एक्ट) के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
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यह था मामला
वर्ष 2018 में आदमपुर थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, वादिनी कुसुम देवी ने अपनी बेटी की आत्महत्या का आरोप उसके पति और सास पर लगाया था। शिकायत में कहा गया कि दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किए जाने के बाद उसकी बेटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
प्रारंभिक रूप से इस मामले में IPC की धाराएं 304B, 498A, 323, 504, 506 तथा 3/4 डीपी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जांच के दौरान धारा 304B को हटाकर चार्जशीट धारा 306 में दाखिल की गई। हालांकि, अदालत में सुनवाई के दौरान वादी के बयान और सबूतों के आधार पर वैकल्पिक रूप से धारा 304B को भी आरोप में जोड़ा गया।

अदालत में पेश हुए 5 गवाह
सुनवाई के दौरान कुल 5 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। न्यायालय ने इन बयानों और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर आरोपी पति और सास को दोषी मानते हुए पांच साल की सजा सुनाई।
वादिनी की ओर से अधिवक्ता अवधेश कुमार सिंह और गौतम कुमार सिंह ने पक्ष रखा और अदालत के समक्ष प्रभावी रूप से तर्क प्रस्तुत किए।
यह फैसला एक बार फिर से दहेज प्रताड़ना के विरुद्ध कड़ा संदेश देता है कि ऐसी सामाजिक बुराइयों को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
