Varanasi : वाराणसी-आजमगढ़ स्टेट हाईवे पर किसानों ने रविवार दोपहर चोलापुर टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया। अधूरी सड़क निर्माण और मुआवजे की मांग को लेकर एकजुट हुए किसानों ने टोल प्लाजा को अपने कब्जे में ले लिया। नाराज किसानों ने टोलगेट बंद करवा दिए, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया।

अधिकारियों की समझाइश बेअसर, किसानों का प्रदर्शन जारी
सूचना मिलते ही एसीपी समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारेबाजी जारी रखी। इस दौरान किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। किसानों ने टोल गेट फिर से बंद कर दिया, जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
चार घंटे बाद पुलिस ने कराया टोल प्लाजा खाली
प्रदर्शन के कारण हाईवे पर करीब दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया। प्रशासन ने समझा-बुझाकर शाम चार बजे किसानों को हटाने में सफलता पाई, जिसके बाद यातायात सामान्य हो सका।
सैकड़ों किसानों ने किया प्रदर्शन, हाथों में तिरंगा लेकर जताया विरोध
पूर्वांचल किसान यूनियन के तत्वावधान में किसान नेता अजीत सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने एनएच-233 स्थित ढेरही टोल प्लाजा पर प्रदर्शन किया। सुबह से ही किसान आसपास जुटने लगे थे और दोपहर में उन्होंने टोल प्लाजा पर कब्जा जमा लिया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तिरंगा लेकर अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की।
16 किलोमीटर सड़क अब भी अधूरी
किसानों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-233 का निर्माण 2012 की नियमावली के अनुसार होना था, लेकिन जौनपुर जिले में 16 किलोमीटर की सड़क अब भी अधूरी पड़ी है। किसानों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं।
मुआवजा नहीं मिला, टोल प्लाजा गलत स्थान पर बना दिया
किसानों ने आरोप लगाया कि टोल प्लाजा प्रस्तावित स्थान से हटाकर वाराणसी में दूसरी जगह बना दिया गया, जबकि किसानों को अब तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है। इसके बावजूद टोल प्लाजा पर टैक्स की वसूली की जा रही है। किसानों और स्थानीय लोगों ने कई बार टोल प्लाजा को हटाने की मांग उठाई, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजकर की शिकायत
किसानों ने अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री को पत्र भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को 20 मार्च 2025 तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस उपेक्षा के कारण किसानों ने मजबूर होकर टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया और विरोध प्रदर्शन किया।