Varanasi: वाराणसी में गंगा नदी लगातार उफान पर है। जलस्तर में हो रही तेज़ बढ़ोतरी के चलते घाटों की सीढ़ियां एक के बाद एक डूबती जा रही हैं। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि घाटों के किनारे बने छोटे-बड़े मंदिरों में भी पानी भर चुका है। अब तक करीब 20 मंदिर जलमग्न हो चुके हैं। यदि यही स्थिति बनी रही, तो घाटों पर आमजन का आना-जाना पूरी तरह से ठप हो सकता है, क्योंकि एक घाट से दूसरे घाट तक पहुंचने का रास्ता पानी में डूब जाएगा।
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गंगा हर घंटे बढ़ रही 10 सेंटीमीटर
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बुधवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 62.28 मीटर दर्ज किया गया। सोमवार सुबह 6 बजे से लेकर बुधवार सुबह 8 बजे तक महज 50 घंटों में जलस्तर में 2.96 मीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। सोमवार सुबह जलस्तर 59.32 मीटर था, जो मंगलवार शाम 6 बजे तक बढ़कर 61.95 मीटर हो गया। हर घंटे करीब 10 सेंटीमीटर की दर से जलस्तर में इजाफा हो रहा है। हालांकि अभी भी यह चेतावनी स्तर से 8.31 मीटर नीचे है।
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घाटों के हालात बिगड़ते जा रहे

गंगा के पानी ने अब घाटों के किनारों की मिट्टी और रेत को भी निगलना शुरू कर दिया है। तुलसी घाट के आगे की ज़मीन और अस्सी घाट के सामने दो-तिहाई रेत गंगा में समा चुकी है। भदैनी, जानकी घाट, केदार घाट, पंचगंगा घाट, ललिता घाट, मान सिंह घाट और दरभंगा घाट की सीढ़ियों तक पानी पहुंच गया है। अगर जलस्तर यूं ही बढ़ता रहा, तो आने वाले हफ्ते में घाटों का आपसी संपर्क टूट सकता है।
नाविकों की मुश्किलें भी बढ़ीं
गंगा में आई बाढ़ के चलते नाविकों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। नदी में उगे शैवाल नाव चलाने में रुकावट पैदा कर रहे हैं। कई नाविक रात में भी अपनी नावों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि कोई नुकसान न हो। घाटों पर खड़ी नावों और बजड़ों को एहतियातन पीछे खींच लिया गया है।
प्रशासन सतर्क, एनडीआरएफ अलर्ट मोड पर
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी ने आपात बैठक कर सभी संबंधित विभागों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बाढ़ से निपटने की तैयारियों के तहत एनडीआरएफ को भी तैनात कर दिया गया है। गौरतलब है कि वाराणसी की 11वीं एनडीआरएफ बटालियन राज्य के 42 जिलों में राहत और बचाव कार्य करती है।
स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन अगर बारिश और जलस्तर बढ़ता रहा, तो वाराणसी के घाटों की रौनक पर असर पड़ना तय है।

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