वाराणसी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचों में सुधार के तहत वाराणसी को मातृ एवं शिशु देखभाल में एक मिसाल बना दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार, 10 बिंदुओं पर आधारित प्रबंधन योजना के परिणामस्वरूप वाराणसी ने संस्थागत प्रसव, सिजेरियन और शिशु देखभाल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि वाराणसी की मातृ एवं शिशु देखभाल योजना अन्य जिलों के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी है। पिछले तीन वर्षों में संस्थागत प्रसव में 60% से अधिक की वृद्धि हुई है। 2020-21 में 55,132 प्रसव से बढ़कर 2023-24 में यह संख्या 78,178 हो गई है। जटिल प्रसवों में सिजेरियन प्रसव की संख्या में भी 700% की वृद्धि हुई है, जो 2020-21 में 2,705 से बढ़कर 2023-24 में 18,351 हो गई है।
वाराणसी में लागू किए गए 10 बिंदुओं पर आधारित योजनाओं ने इस सफलता को संभव बनाया है, जिनमें शामिल हैं :-
- मॉडल वीएचएनडी : 3000 से अधिक साइटों पर जन्म और परीक्षणों की नियमित निगरानी।
- सुलभ वीएचएनडी साइटें : अधिक उपयुक्त स्थानों पर स्वास्थ्य सेवाओं का स्थानांतरण।
- उच्चीकृत एनबीएसयू केयर : प्रसव केंद्रों पर न्यू बॉर्न स्टेब्लाइजेशन यूनिट्स की स्थापना।
- एफआरयू की संख्या में वृद्धि : प्राथमिक रेफरल यूनिट्स की संख्या बढ़ाई गई।
- एमएनसीयू की स्थापना : कम वजन वाले शिशुओं के लिए 12 नई मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल इकाइयों की स्थापना।
- उपकेंद्रों का विस्तार : 200 से अधिक प्रसव उपकेंद्रों को उन्नत किया गया।
- गृह-आधारित नवजात देखभाल : नवजात की देखभाल के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान की गईं।
- एचआरपी ट्रैकिंग : उच्च जोखिम वाली गर्भधारणाओं की बेहतर निगरानी की गई।
- लक्ष्य योजना : बेहतर सर्जरी और प्रसव कक्ष की व्यवस्था की गई।
- साप्ताहिक निगरानी : सभी उपायों की नियमित समीक्षा की जा रही है।
इन प्रयासों के कारण वाराणसी ने जननी सुरक्षा योजना और मातृ वंदना योजना में भी राज्य के शीर्ष जिलों में अपनी पहचान बनाई है। इस सफलता ने वाराणसी को अन्य जिलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है।