Varanasi: हिंदू आचार संहिता अक्तूबर में होगी लागू, दिन में होंगे विवाह, दहेज-प्री वेडिंग पर रोक, महिलाओं को मिलेगा यज्ञ का अधिकार

Varanasi: अक्तूबर 2025 के अंत तक हिंदू समाज के लिए ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। काशी विद्वत परिषद और अखिल भारतीय संत समिति की अगुवाई में तैयार नई हिंदू आचार संहिता सार्वजनिक की जाएगी। 356 पेज की इस संहिता की एक लाख प्रतियां छपवाई गई हैं, जिन्हें देशभर में हिंदुओं के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा।

Varanasi: हिंदू आचार संहिता अक्तूबर में होगी लागू, दिन में होंगे विवाह, दहेज-प्री वेडिंग पर रोक, महिलाओं को मिलेगा यज्ञ का अधिकार Varanasi: हिंदू आचार संहिता अक्तूबर में होगी लागू, दिन में होंगे विवाह, दहेज-प्री वेडिंग पर रोक, महिलाओं को मिलेगा यज्ञ का अधिकार

परिषद Varanasi के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि इस संहिता का उद्देश्य समाज को जोड़ना और कुरीतियों को समाप्त करना है। विवाह व्यवस्था में वैदिक परंपरा को पुनर्स्थापित करते हुए दिन में विवाह, दहेज पर पूर्ण प्रतिबंध, प्री-वेडिंग शूट पर रोक और मृतक भोज में अधिकतम 13 लोगों तक की सीमा तय की गई है।

समाज सुधार की दिशा में बड़ा कदम

  • महिलाओं को यज्ञ का अधिकार: नई संहिता में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने की बात कही गई है। अब वे भी यज्ञ सहित अन्य वैदिक कर्मकांड कर सकेंगी।
  • घर वापसी की सरल व्यवस्था: किसी भी व्यक्ति के हिंदू धर्म में वापसी के लिए एक सरल पद्धति निर्धारित की गई है। शुद्धिकरण कराने वाला ब्राह्मण उस व्यक्ति को अपना गोत्र देगा।
  • मंदिरों में नए नियम: मंदिर के गर्भगृह में केवल अर्चकों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई है।

संतों की सहमति और विद्वानों की मेहनत

इस संहिता को तैयार करने में 21 विद्वानों की टीम ने 15 वर्षों तक अध्ययन किया, जिसमें शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य समेत देशभर के प्रमुख संतों की सहमति ली गई। 40 बार देशभर के धर्मस्थलों पर बैठकें हुईं और मनु स्मृति, पराशर स्मृति, देवल स्मृति सहित भगवद्गीता, रामायण, महाभारत, पुराणों के प्रमुख अंशों को आधार बनाया गया।

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सार्वजनिक मंच पर होगा विमोचन

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अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि अक्तूबर के अंत तक इसे सांस्कृतिक संसद में सार्वजनिक किया जाएगा। साथ ही, दो पेज की सारांशिका की भी एक लाख प्रतियां प्रकाशित की गई हैं, जिससे हर वर्ग तक इसकी मूल भावना पहुंच सके।

प्रो. द्विवेदी के अनुसार, यह संहिता “समाज को बांटने वालों के मुंह पर तमाचा” होगी और सर्वसमाज को एक सूत्र में बांधने का काम करेगी। यह आचार संहिता हिंदू समाज में नई चेतना और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश लेकर आ रही है।

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