Varanasi : महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने काशी में किया शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन

Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पहल से भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। काशी नगरी में “शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र” का भव्य शुभारंभ महाराष्ट्र सरकार के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया। इस केंद्र का उद्देश्य भारत की प्राचीन ग्रंथ संपदा का संरक्षण, डिजिटलीकरण और आधुनिक तकनीक की सहायता से समाज तक उसका प्रसार करना है।

Varanasi : महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने काशी में किया शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन Varanasi : महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने काशी में किया शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन

कार्यक्रम का आयोजन धर्मसंघ सभागार, स्वामी करपात्री जी महाराज आश्रम, श्री धर्मसंघ मठ मंदिर, दुर्गाकुंड, वाराणसी में आयोजित किया गया। इस भव्य शुभारंभ में देश भर से विद्वान, संन्यासी, शोधकर्ता और संस्कृत प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र के संस्थापक सनातनी रामानंद तिवारी ने विषय की संकल्पना रखी। उन्होंने कहा कि शाश्वत ही सनातन है और सनातन ही शाश्वत है। उन्होंने कहा कि आज सबसे प्रमुख विषय खुद को जानना है, और यह तभी संभव है जब हम शास्त्रों से खुद को जोड़ पाएंगे।

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वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने कहा कि शाश्त्र के लिए संग्रहालय का शुभारम्भ आने 2अले दिनों में लोगी को अपने ग्रंथो के प्रति आकर्षित करने का काम करेगा।

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कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने संबोधन की शुरुआत बाबा विश्वनाथ को प्रणाम और माँ गंगा को नमन करते हुए किया। उन्होंने कहा कि इस पावन नगरी में आने का अवसर मिलना किसी सौभाग्य से कम नहीं। इस कार्यक्रम के जरिये खुद को प्राचीन ज्ञान परंपरा से जुड़ा महसूस करता हूँ। इसके जरिये युवाओं को अपने प्राचीन ग्रंथों की जानकारी प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।


उन्होंने कहा कि धर्म संघ का यह संस्थान सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह सनातन संस्कृति और जीवन शैली का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता के पहलू को स्पष्ट करते हुए शिंदे जी ने कहा कि उन्होंने हमें विकास और विरासत का संदेश दिया है। पुरातन ग्रंथों को डिजिटाइज़ करने के कार्य के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य पीएम मोदी की योजना का ही प्रमाण है।

उन्हींने कहा कि हमारा देश शस्त्र के साथ शास्त्र सम्पदा के साथ विश्व गुरु बनाने की दिशा में पुनः अग्रसर होगा। इसके लिए सरकार और समाज को कंधे से कन्धा मिलकर चलना है। वहीं उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से ओतप्रोत सनातन हिन्दू सिर्फ एक धर्म नहीं सर्व समावेशी समाज का निर्माण का आधार है।

शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष भुजंग बोबडे ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि काशी क्षेत्र ज्ञान आचमन का प्रमुख केंद्र है। और यहां से पुरातन ग्रंथों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का केंद्र खुलना अपने आप मे काफी महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभागार में प्रदर्शनी का भी उद्घाटन एकनाथ शिंदे जी द्वारा किया गया। इस प्रदर्शनी में कई प्राचीन ग्रंथों और पुस्तकों का समावेश रहा, जिसमें मुख्यतः विज्ञान भैरवकल्प – शारदा लिपि, शिवपूजाविधि एवं अन्य, बिजक (त्रिधा) सटीक, ऋग्वेद संहिता सर्ग 1 से 8, ऋग्वेद संहिता सर्ग 2 से 8, सामवेद संहिता – सर्ग 1 व 2, ऐतरेय ब्राम्हणक- 1 से 8, केनोपनिषद, हनुमत संहिता, पंचिका 1 से 5, गोमूत्र प्रयोग, आर्यभट्टीय, मांधता संवाद ग्रंथ, विवेक मार्तण्ड (गोरक्षशत), वशिष्ठ स्मृति, तर्क प्रकाश, तंत्रसार कर्मप्रकाश, (तर्कभाषा) तात्पर्य टीका, शारंगधर संहिता सहित कई पुस्तकें रहीं।

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