Varanasi : पहाड़िया मंडी में अवैध दुकानों को हटाने के खिलाफ व्यापारियों ने जताई नाराजगी, किया विरोध प्रदर्शन

Varanasi : पहाड़िया मंडी के गेट नंबर-2 पर मंडी परिषद द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ गुरुवार को व्यापारियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रशासन द्वारा पुराने दुकानदारों की दुकानों को अवैध घोषित कर हटाने की कार्रवाई से गुस्साए व्यापारियों ने मंडी परिसर में धरना देते हुए मंडी परिषद और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

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व्यापारियों का आरोप है कि जो दुकानें हटाई जा रही हैं, वे वर्षों से संचालित हो रही थीं और इन्हें लेकर पहले प्रशासन ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। मंडी अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सब्जी मंडी के दुकानदार 20-22 सालों से वहीं कारोबार कर रहे हैं। कई व्यापारी 2004 से स्थायी रूप से अपनी दुकानें चला रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अब प्रशासन बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए जबरन ताले तोड़कर दुकानों का सामान उठा ले जा रहा है।

Varanasi : पहाड़िया मंडी में अवैध दुकानों को हटाने के खिलाफ व्यापारियों ने जताई नाराजगी, किया विरोध प्रदर्शन Varanasi : पहाड़िया मंडी में अवैध दुकानों को हटाने के खिलाफ व्यापारियों ने जताई नाराजगी, किया विरोध प्रदर्शन

प्रशासनिक रवैए पर उठे सवाल

विनोद सोनकर ने कहा कि मंडी परिषद के अधिकारियों ने 1982 में पारित उस नियम को नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि जिन व्यापारियों के पास मंडी परिषद में अपनी दुकान के लिए ज़मीन नहीं है, वे अपने स्तर पर मंडी क्षेत्र में स्थान लेकर व्यवस्थित रूप से व्यापार कर सकते हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि इतने वर्षों तक प्रशासन चुप क्यों रहा? अब जब व्यापारी स्थायी रूप से दुकानें चला रहे हैं, तो उन्हें अचानक अवैध करार देकर हटाना अन्यायपूर्ण है।

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मांगें नहीं मानी गईं तो भूख हड़ताल की चेतावनी

प्रदर्शनकारी व्यापारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आंदोलन को तेज करेंगे।

मुख्य मांगें:

  1. 1982 की रूलिंग के तहत बने दुकानों को यथास्थिति में रखा जाए।
  2. यदि जरूरत हो, तो सुविधा शुल्क लेकर उन दुकानों को वैध घोषित किया जाए।
  3. जब तक वैकल्पिक व्यवस्था न हो, तब तक किसी भी दुकान को न हटाया जाए।

व्यापारियों का कहना है कि मंडी से जो रिवेन्यू सरकार को मिलता है, वह इन्हीं दुकानों से आता है। यदि इन्हें हटाया गया तो मंडी परिषद को आर्थिक नुकसान होगा और किसान-ग्राहक दोनों प्रभावित होंगे।

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