नई दिल्ली। वक्फ विधेयक को लेकर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सांसदों के द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि उनके सुझावों को नकार दिया गया और उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई। विपक्ष का कहना है कि पूरी प्रक्रिया में लोकतांत्रिक मूल्य और पारदर्शिता का उल्लंघन हुआ है।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समिति द्वारा किए गए बदलावों से विधेयक और प्रभावशाली बनेगा और सभी निर्णय बहुमत के आधार पर लिए गए। उन्होंने विपक्षी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह से लोकतांत्रिक रही और सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिला।
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि जेपीसी की बैठकें तानाशाही के तहत संचालित की गईं और उनके सुझावों को एकतरफा तरीके से खारिज कर दिया गया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र का अपमान बताते हुए कहा कि यह ‘काला दिन’ है। वहीं, कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने दावा किया कि 95-98 फीसदी हितधारकों ने विधेयक का विरोध किया और इस पर कोई चर्चा नहीं हुई, सिर्फ मतदान कराया गया।
जेपीसी ने 44 संशोधनों पर चर्चा की और 14 को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया। इस दौरान 284 हितधारकों से चर्चा की गई और जिन संगठनों के सदस्य दिल्ली नहीं आ सके, उनके लिए विभिन्न राज्यों में बैठकें आयोजित की गईं। जेपीसी की बैठकें 108 घंटे तक चलीं और विधेयक पर गहन चर्चा हुई। अब, 29 जनवरी को विधेयक का अंतिम ड्राफ्ट पेश किया जाएगा, जिसे लेकर सभी पक्ष अपनी प्रतिक्रिया देंगे।