पहली शादी बरकरार होने पर भी महिला को दूसरे पति से भरण-पोषण मिलेगा, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक महिला अपने दूसरे पति से भरण-पोषण पाने की हकदार होगी, भले ही उसका पहला विवाह कानूनी रूप से समाप्त न हुआ हो। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भरण-पोषण जैसे सामाजिक कल्याण प्रावधानों की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि इसका मानवीय उद्देश्य विफल न होने पाए।

WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

क्या है पूरा मामला?
एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने दूसरे पति से भरण-पोषण की मांग की थी। महिला साल 2005 में अपने पहले पति से अलग हो गई थी, लेकिन दोनों ने आधिकारिक तौर पर तलाक नहीं लिया। इसी साल महिला ने अपने पड़ोसी से शादी कर ली, लेकिन कुछ समय बाद मतभेद होने के कारण शादी को रद्द करने की मांग की, जिसे 2006 में पारिवारिक अदालत ने मंजूरी दे दी।

हालांकि, कुछ समय बाद दोनों के बीच सुलह हो गई और उन्होंने दोबारा शादी की। यह शादी हैदराबाद में पंजीकृत हुई। साल 2008 में उनकी एक बेटी का जन्म हुआ, लेकिन इसके बाद फिर से विवाद शुरू हो गया। महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया और फिर अपने व अपनी बेटी के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग की।

अदालतों में क्या हुआ?
पारिवारिक अदालत ने महिला की भरण-पोषण की मांग को जायज ठहराया, लेकिन पति ने इस फैसले को तेलंगाना उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए भरण-पोषण देने के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट में पति ने तर्क दिया कि महिला की पहली शादी अभी भी कानूनी रूप से मान्य है, इसलिए उसे उसकी पत्नी नहीं माना जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि महिला और उसकी बेटी को भरण-पोषण मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे सामाजिक कल्याण कानूनों का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, इसलिए इसे तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *