
लखनऊ I सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर योगी आदित्यनाथ सरकार के बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मंगलवार को बहराइच हिंसा में शामिल तीन आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर कोर्ट ने कल तक के लिए रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा आप इस अदालत द्वारा पारित आदेशों से अवगत हैं। यदि उत्तर प्रदेश सरकार इन आदेशों का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहती है तो यह उनकी मर्जी है। सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण से जुड़े मामलों को छोड़कर देश भर में बिना अनुमति के बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

लोक निर्माण विभाग ने धार्मिक जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर बहराइच जिले के एक गांव में सांप्रदायिक हिंसा में शामिल तीन लोगों को ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया था। इस हिंसा में राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि संपत्तियां 10 से 70 साल पुरानी हैं और प्रस्तावित विध्वंस कार्रवाई दंडात्मक है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का अनधिकृत निर्माण का दावा केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का बहाना है।
मंगलवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कोर्ट में कहा कि आवेदक के परिवार में से एक ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि 17 अक्टूबर को नोटिस जारी किए गए थे और 18 अक्टूबर की शाम को चिपकाए गए थे। सीयू सिंह ने कहा आपके आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। पीडब्ल्यूडी ने तीन दिनों के भीतर विध्वंस के लिए नोटिस जारी किए हैं।

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी मामले की सुनवाई हुई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर कोई रोक नहीं लगाई लेकिन प्रभावित लोगों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया था। लखनऊ हाईकोर्ट के अधिवक्ता सैय्यद अकरम आजाद ने बताया कि याचिका दाखिल करने वालों में अब्दुल हमीद की बेटी और दिल्ली की संस्था एसओसीएसएम फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट शामिल हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती है।
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