लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (CM Yogi) ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत मृतक शिक्षकों के परिजनों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। अब सेवाकाल में मृत्यु होने की स्थिति में शिक्षकों के परिजनों को मृत्यु उपदान (Death Gratuity) का भुगतान शासनादेश के अनुरूप किया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार ने 24.12.1983, 30.03.1983 और 04.02.2004 के शासनादेशों का हवाला देते हुए एक नवीन आदेश जारी कर दिया है।
इस फैसले को न केवल एक आर्थिक सहारा के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह राज्य सरकार की संवेदनशीलता और सहयोगात्मक सोच का भी प्रतीक है।
किन परिजनों को मिलेगा लाभ?
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने जानकारी दी कि यह सुविधा उन शिक्षकों के परिजनों को दी जाएगी—
- जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं चुना और जिनकी मृत्यु 58 वर्ष की आयु से पहले हो गई।
- जिन्होंने 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था, लेकिन विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हो गया।
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2004 के बाद की स्थिति भी स्पष्ट
मंत्री ने बताया कि 3 फरवरी 2004 के बाद जिन शिक्षकों ने सेवानिवृत्ति का कोई विकल्प नहीं भरा और जिनका 60 वर्ष से पहले निधन हो गया, वे भी इस योजना के दायरे में आएंगे। इसके अलावा वे शिक्षक जिन्होंने 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था, लेकिन निर्धारित समय सीमा से पहले उनका निधन हो गया, उनके परिजनों को भी मृत्यु उपदान का लाभ मिलेगा।

शासनादेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस आदेश के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए निदेशक, उच्च शिक्षा को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जनकल्याणकारी और मानवीय दृष्टिकोण के तहत लिया गया है, जिससे प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।