नई दिल्ली I भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पांच साल बाद नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती का फैसला लिया है। RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% करने की घोषणा की। यह कटौती 25 आधार अंकों की हुई है, जिससे आम लोगों को होम और कार लोन की ईएमआई में राहत मिलने की संभावना है।
रेपो रेट में कटौती का असर
फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5% पर स्थिर था, लेकिन इससे पहले 2020 में कोविड महामारी के दौरान ब्याज दरों में कटौती की गई थी। इस बार की कटौती से कर्जदारों पर ईएमआई का बोझ कम होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी ने 50 लाख रुपये का होम लोन 8.5% ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, तो उसकी ईएमआई 43,391 रुपये से घटकर 42,603 रुपये हो जाएगी, जिससे हर महीने 788 रुपये और सालाना 9,456 रुपये की बचत होगी। इसी तरह, 5 लाख रुपये के कार लोन पर 12% ब्याज दर होने पर ईएमआई में 133 रुपये की मासिक और 1,596 रुपये की वार्षिक बचत होगी।
रेपो रेट में कटौती की जरूरत क्यों पड़ी?
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला तीन मुख्य कारणों से लिया गया है:
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण – दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.2% थी, जो अगले महीनों में 4.5% से 4.7% तक गिरने की उम्मीद है।
- विकास दर में गिरावट – वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी 8.2% थी, जो वित्त वर्ष 2025 में घटकर 6.4% रहने की संभावना है।
- लिक्विडिटी की कमी – रुपये की गिरावट और आर्थिक गति धीमी होने के कारण आरबीआई को यह फैसला लेना पड़ा।
क्या सभी बैंकों में ब्याज दर घटेगी?
विशेषज्ञों के अनुसार, बैंक अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेते हैं। हालांकि, यह कटौती लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने और घरेलू खपत को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, सरकार ने 2025-26 के बजट में आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने की घोषणा की है, जिससे मध्यम वर्ग को सीधा फायदा मिलेगा।