महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पूरे देश में भगवान शिव की भक्ति की धूम मची हुई है। भक्तगण महादेव के विवाहोत्सव की तैयारियों में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जुटे हुए हैं। इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे अद्भुत शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया में अपनी तरह का इकलौता मंदिर है।
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान शिव की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है, और इसका ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से खुला हुआ है। सबसे अनोखी बात यह है कि यहां का शिवलिंग मौसम के अनुसार अपना रंग बदलता है। महाशिवरात्रि के दिन यहां भक्तों का तांता लग जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर की पूरी कहानी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
कहां स्थित है यह चमत्कारी मंदिर?
जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वह गुजरात के वलसाड जिले के अब्रामा गांव में वंकी नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर ताड़केश्वर महादेव (Tadkeshwar Mahadev) के नाम से प्रसिद्ध है और इसकी मान्यता 800 वर्षों से भी अधिक पुरानी मानी जाती है।

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके ऊपर छत नहीं है, और सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर पड़ती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब इस मंदिर के ऊपर छत बनाने की कोशिश की गई, तो बार-बार वह किसी न किसी कारणवश नष्ट हो गई। आखिरकार, भक्तों ने भगवान शिव के आदेशानुसार इसे ऊपर से पूरी तरह खुला ही छोड़ दिया।
1994 में हुआ था पुनर्निर्माण
यह मंदिर सन् 1994 में पुनर्निर्मित किया गया था, जिसके दौरान इसका 20 फीट ऊंचा गोलाकार गुंबद बनाया गया। लेकिन इस गुंबद को भी खोल दिया गया ताकि शिवलिंग तक सूर्य की किरणें सीधे पहुंच सकें।
श्रद्धालु विशेष रूप से श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
यह मंदिर एक रहस्यमयी और चमत्कारी घटना से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले, इस क्षेत्र के एक चरवाहे ने देखा कि एक गाय खुद-ब-खुद बह रही थी। जब ग्रामीणों ने इस जगह का निरीक्षण किया, तो उन्हें एक विशाल पत्थर (शिला) दिखाई दिया।
हर दिन एक भक्त इस शिला पर दूध का अभिषेक करने लगा। एक रात, भगवान शिव ने उस भक्त को स्वप्न में दर्शन देकर कहा “तुम हर दिन इस घने जंगल में मेरी पूजा करने आते हो, मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं। अब मुझे इस कीचड़ से बाहर निकालकर उचित स्थान पर स्थापित करो और मेरी उपासना करो।”
भक्तों ने जब इस शिला के चारों ओर खुदाई की, तो उन्होंने देखा कि यह 6 से 7 फीट लंबा शिवलिंग था। अत्यंत सावधानी से खुदाई पूरी करने के बाद, इस शिवलिंग को बैलगाड़ी में रखकर मंदिर के वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया।
मंदिर का अनोखा रहस्य
भगवान शिव की प्रतिमा और शिवलिंग की रक्षा के लिए ग्रामीणों ने एक अस्थायी छत बनाई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में वह रहस्यमयी तरीके से जलकर खाक हो गई। इसके बाद एक ट्यूबलर छत का निर्माण किया गया, लेकिन वह भी एक भयंकर तूफान में उड़ गई।
इस रहस्य को लेकर शिव भक्तों को एक और सपना आया, जिसमें भगवान शिव ने कहा“मैं ताड़केश्वर हूं, मेरे सिर पर छत बनाने का प्रयास मत करो।”
इसके बाद, ग्रामीणों ने मंदिर के चारों ओर दीवारें बनाई और एक दरवाजा लगाया, लेकिन इसे ऊपर से हमेशा के लिए खुला छोड़ दिया।
शिवलिंग का रंग बदलने का रहस्य
इस मंदिर का शिवलिंग मौसम के अनुसार अपना रंग बदलता है।
🔸 गर्मियों में यह हल्का पीला दिखाई देता है।
🔹 सर्दियों में यह हल्का सफेद हो जाता है।
🔸 बरसात के मौसम में यह हल्के भूरे रंग में परिवर्तित हो जाता है।
माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण
✅ महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां विशेष पूजा-अर्चना और भव्य महोत्सव आयोजित किए जाते हैं।
✅ इस मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, क्योंकि इसे शिव भक्ति का चमत्कारी केंद्र माना जाता है।
✅ यहां का शिवलिंग पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसकी आकार, बनावट और विशेषताएं अद्भुत हैं।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के अलौकिक चमत्कारों का एक जीवंत प्रमाण है। यहां न सिर्फ भगवान शिव की अनोखी मूर्ति स्थापित है, बल्कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग मौसम के अनुसार रंग बदलता है।