वाराणसी। साल 2024 अब खत्म होने को है, और नए साल 2025 का स्वागत काशी नई उम्मीदों और लक्ष्यों के साथ करने के लिए तैयार है। यह साल काशी विश्वनाथ की नगरी के लिए उपलब्धियों और विकास की नई इबारत लिखने वाला साबित हुआ। वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, परिवहन और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक कार्य हुए।
2024 के प्रमुख उपलब्धियां
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल वाराणसी को कई बड़ी सौगातें दीं। करखियावं में ₹622 करोड़ की लागत से डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत ने डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए नई राहें खोलीं। इसके साथ ही कचरे से चारकोल बनाने वाले प्लांट की भी शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में औसतन हर तीन महीने में दौरा कर विकास कार्यों की निगरानी की।
अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह इस साल की शुरुआत का मुख्य आकर्षण रहा। इसके बाद लोकसभा चुनावों में वाराणसी ने प्रधानमंत्री मोदी को तीसरी बार रिकॉर्ड जीत दिलाई।
20 अक्टूबर को दीपावली से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में ₹3254 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इनमें सिगरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, सारनाथ में पर्यटन पुनर्विकास, 20 पार्कों का सौंदर्यीकरण, आईटीआई में हाईटेक लैब का निर्माण, और बाणासुर मंदिर व गुरुधाम मंदिर में पर्यटन विकास कार्य शामिल हैं।

इसके अलावा, राजघाट पर नए गंगा ब्रिज (मालवीय पुल) और काशी रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास को भी कैबिनेट की मंजूरी मिली। यह सिग्नेचर ब्रिज सिक्स-लेन होगा, जिसमें ट्रेनों के लिए चार ट्रैक होंगे। वाराणसी-पंडित दीनदयाल उपाध्याय मल्टीट्रैकिंग परियोजना भी मंजूर हुई, जिसकी लागत ₹2642 करोड़ है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने वाराणसी में एक नए मेडिकल कॉलेज के लिए ₹400 करोड़ का बजट आवंटित किया। बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में 150 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट और 200 बेड का जीरियाट्रिक सेंटर तैयार हो रहा है। इस साल कबीरचौरा और दुर्गाकुंड के सीएचसी में डायलिसिस सेंटर शुरू हुए।
साल 2024 में काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का रिकॉर्डतोड़ आगमन हुआ। 13 दिसंबर तक 19 करोड़ 12 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की।
इस साल वाराणसी में कई दिल दहला देने वाली घटनाएं भी हुईं। नवंबर में भेलूपुर क्षेत्र में गुप्ता परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या ने शहर को हिला दिया। वहीं, रामनगर के सूजाबाद में 8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के प्रयास और हत्या की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
साल के अंत में सारनाथ के 86 वर्षीय लेखक एसएन खंडेलवाल के निधन और उनके अंतिम संस्कार में उनके बेटे-बेटी की गैरमौजूदगी ने सामाजिक रिश्तों की विफलता को उजागर किया। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई।
