वाराणसी: पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण प्रस्ताव के विरोध में बिजली कर्मियों और अभियंताओं ने भिखारीपुर में शनिवार को जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने निजीकरण की योजना को तुरंत रद्द करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की अपील की।
निजीकरण पर उठे सवाल
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मीडिया सचिव अंकुर पांडे ने प्रबंधन पर बिना ठोस कारण के निजीकरण का निर्णय लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से निगमों में अस्थिरता का माहौल बन गया है। पांडे के अनुसार, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने घाटा कम किया है और राजस्व में वृद्धि दर्ज की है, फिर निजीकरण का औचित्य समझ से परे है।
जनता और कर्मचारियों पर असर
अंकुर पांडे ने उदाहरण देकर बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम पावर कार्पोरेशन को प्रति यूनिट 4.47 रुपये का राजस्व देता है, जबकि आगरा में टोरेंट कंपनी के तहत यह राशि घटकर 4.36 रुपये रह जाती है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकारी क्षेत्र निजी क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। ऐसे में निजीकरण से जनता और कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
कर्मचारियों की चिंता और अपील
बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मायाशंकर तिवारी ने निजीकरण को उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि इससे बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं और कर्मचारियों को अपने भविष्य को लेकर असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा। तिवारी ने याद दिलाया कि पहले भी मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से निजीकरण का फैसला वापस लिया गया था।
बिजली कर्मचारी 24 घंटे सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन निजीकरण के खिलाफ उनका आंदोलन जारी है। उन्होंने सरकार से अपील की कि विभाग और जनता के हित में यह फैसला रद्द किया जाए।