वाराणसी I अनादि तीर्थ मणिकर्णिका पर विराजमान चक्रपुष्करिणी कुंड में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के पावन अवसर पर श्रद्धालु मां मणिकर्णिका के दर्शन करेंगे। 30 अप्रैल को मां की अष्टधातु की प्रतिमा काशी की गलियों से शोभायात्रा के साथ कुंड तक पहुंचेगी, जहां 16 घंटे तक भक्तों को दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। श्रद्धालु अक्षय पुण्य की कामना के साथ उत्तराभिमुख गोमुख में डुबकी भी लगाएंगे।
वैशाख शुक्ल Akshaya Tritiya को रात 9 बजे मणिकर्णिका कुंड पर मां का वार्षिक शृंगार होगा। तीर्थ पुरोहित जयेंद्र नाथ दुबे बब्बू महाराज ने बताया कि साल में केवल एक दिन मां मणिकर्णिका की शोभायात्रा निकलती है। ब्रह्मनाल स्थित महंत आवास से पालकी में मां की ढाई फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा चक्रपुष्करिणी कुंड तक लाई जाएगी। रात में प्रतिमा को 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर स्थापित कर फूलों और नए वस्त्रों से झांकी सजाई जाएगी।
रात भर मां कुंड पर विराजमान रहेंगी और भजन-कीर्तन के बीच कुंड का जल पूजन से ऊर्जित होगा। एक मई को मध्याह्न में श्रद्धालु गोमुख में स्नान करेंगे। पुरोहित जयेंद्र नाथ दुबे के अनुसार, इस तिथि पर कुंड में स्नान से चारों धाम का फल मिलता है।
साल भर मंदिर में रहती है माता की प्रतिमा
मां मणिकर्णिका की प्रतिमा साल भर ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान रहती है। मान्यता है कि यह प्रतिमा मणिकर्णिका कुंड से प्रकट हुई थी। केवल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर इसे पालकी में कुंड तक लाया जाता है। मां के स्नान के बाद कुंड का जल सिद्ध हो जाता है और इसमें स्नान से भक्तों के पाप-कष्ट दूर होते हैं। अगले दिन चक्रपुष्करिणी कुंड में डुबकी लगाने वालों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।