2025 में चांदी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड: 30 डॉलर से 80 डॉलर तक पहुंची कीमत, क्या यह नया सोना है?
New Delhi : साल 2025 में चांदी की कीमतों ने रिकॉर्ड तोड़ उछाल दिखाया है, जिसने आम निवेशकों से लेकर मिडिल क्लास तक को हैरान कर दिया है। पहले शादी-ब्याह, पूजा-पाठ या गिफ्ट तक सीमित मानी जाने वाली चांदी अब 'सस्ती धातु' नहीं रही। साल की शुरुआत में जहां चांदी की कीमत करीब 29-30 डॉलर प्रति औंस थी, वहीं दिसंबर के अंत में यह 75-83 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। भारत में यह 2.4 लाख से 2.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक छू चुकी है।
सिर्फ दिसंबर में ही 20-30 दिनों के भीतर भारी तेजी देखी गई, हालांकि बीच में कुछ गिरावट भी आई। एलन मस्क जैसे बड़े नामों ने भी इस उछाल पर चिंता जताई है, क्योंकि चांदी कई इंडस्ट्रियल प्रोसेस के लिए जरूरी है।
चांदी की कीमतों में उछाल के मुख्य कारण
चांदी की मांग में भारी बढ़ोतरी और सप्लाई पर दबाव मुख्य वजहें हैं:
- इंडस्ट्रियल डिमांड का बोलबाला : चांदी अब सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV), मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर, AI चिप्स और डिफेंस टेक्नोलॉजी में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रही है। एक सोलर पैनल में औसतन 15-20 ग्राम चांदी लगती है, जबकि एक EV में 25-50 ग्राम तक। ग्रीन एनर्जी और स्मार्ट टेक्नोलॉजी की दौड़ में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। 2025 में ग्लोबल डिमांड 1.24 बिलियन औंस तक पहुंची, जबकि सप्लाई सिर्फ 1.01 बिलियन औंस रही—यानी 230 मिलियन औंस का घाटा।
- चीन की सख्त निर्यात नीति : चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। 1 जनवरी 2026 से चीन ने रिफाइंड चांदी के निर्यात पर लाइसेंस सिस्टम लागू किया है, जिससे छोटे निर्यातक बाहर हो जाएंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई पर भारी दबाव पड़ा। चीन 60-70% रिफाइंड चांदी सप्लाई करता है और यह कदम रेयर अर्थ मेटल्स जैसी पुरानी रणनीति की तरह लगता है।
क्या चांदी नया सोना बन गई?
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी अब सिर्फ ज्वेलरी या निवेश की धातु नहीं, बल्कि जियोपॉलिटिक्स और टेक्नोलॉजी का हथियार बन चुकी है। सालभर में 140-170% तक की बढ़ोतरी के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या आम आदमी इसे फिर सस्ते में खरीद पाएगा? फिलहाल सप्लाई डेफिसिट और इंडस्ट्रियल डिमांड से कीमतें ऊंची रहने की संभावना है।
2025 चांदी के लिए ऐतिहासिक साल साबित हुआ और 2026 में भी यह ट्रेंड जारी रह सकता है। निवेशकों को सलाह है कि बाजार की उतार-चढ़ाव पर नजर रखें।