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Truecaller से कितना अलग है नया सिस्टम? अब अनजान कॉल्स पर दिखेगा सिर्फ KYC वाला 'असली' नाम

 

नई दिल्ली I भारत में फोन पर आने वाली अनजान कॉल्स की पहचान अब और आसान होने वाली है। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने अक्टूबर 2025 में कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सेवा को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत इनकमिंग कॉल्स पर कॉलर का KYC-वेरिफाइड नाम सीधे स्क्रीन पर दिखाई देगा। यह सुविधा थर्ड-पार्टी ऐप्स जैसे Truecaller पर निर्भरता कम करेगी और स्पैम तथा फ्रॉड कॉल्स पर अंकुश लगाने में मदद करेगी।

CNAP नेटवर्क लेवल पर काम करता है। कॉल आने पर रिसीवर के फोन पर कॉलर का नाम टेलीकॉम ऑपरेटर के KYC डेटाबेस (आधार से लिंक्ड) से लिया जाता है। यह सेवा इंटरनेट, ऐप या यूजर-जनरेटेड डेटा पर निर्भर नहीं करती, बल्कि सीधे टेलीकॉम नेटवर्क से जानकारी प्रदान करती है। इससे नाम छिपाना या गलत दिखाना मुश्किल हो जाता है। TRAI ने इसे डिफॉल्ट रूप से ऑन रखने का निर्देश दिया है, लेकिन यूजर्स ऑप्ट-आउट कर सकते हैं।

वर्तमान रोलआउट स्थिति:
- रिलायंस जियो: सबसे आगे, सेवा पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश पूर्व, राजस्थान, पंजाब, असम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में लाइव है।
- भारती एयरटेल: पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में एक्टिव या टेस्टिंग मोड में।
- वोडाफोन आइडिया (Vi): महाराष्ट्र में पूरी तरह लाइव, तमिलनाडु में आंशिक रोलआउट।
- BSNL: पश्चिम बंगाल में ट्रायल आधार पर उपलब्ध।

ट्रायल चरणबद्ध तरीके से चल रहा है और मार्च-अप्रैल 2026 तक पूरे देश में यह सेवा उपलब्ध होने की उम्मीद है। शुरुआत 4G/5G नेटवर्क से हो रही है।

सरकार क्यों कर रही है समर्थन?

बढ़ते फोन-बेस्ड फ्रॉड, इंपर्सनेशन स्कैम और सिम के दुरुपयोग को रोकने के लिए CNAP को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेगुलेटर्स का मानना है कि कॉलर की सही पहचान छिपने से ठगी आसान हो जाती है। साथ ही, SIM-बाइंडिंग नियमों से मैसेजिंग ऐप्स (जैसे WhatsApp) का गलत इस्तेमाल मुश्किल होगा। इन उपायों से डिजिटल आइडेंटिटी ज्यादा सुरक्षित और ट्रेस करने योग्य बनेगी।

Truecaller पर क्या असर?

Truecaller ने भारत में स्पैम डिटेक्शन और क्राउडसोर्स्ड इंटेलिजेंस से बड़ी भूमिका निभाई है। CNAP बेसिक नाम दिखाने का काम नेटवर्क पर डाल देगा, लेकिन Truecaller की ताकत स्पैम अलर्ट, बिजनेस वेरिफिकेशन और रियल-टाइम पैटर्न एनालिसिस में बनी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों साथ-साथ काम कर सकते हैं – CNAP आइडेंटिटी के लिए, Truecaller एडवांस्ड स्पैम प्रोटेक्शन के लिए।

CNAP का पूरा रोलआउट सफलता प्राइवेसी, डेटा सटीकता और नेटवर्क परफॉर्मेंस पर निर्भर करेगा। लेकिन यह कदम भारतीय टेलीकॉम में भरोसे और सुरक्षा की दिशा में बड़ा बदलाव है। यूजर्स को अब अनजान कॉल्स से पहले सोचने का मौका मिलेगा – कौन कॉल कर रहा है, यह पहले से पता चल जाएगा।