वाराणसी। आर्य महिला पी.जी. कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग और रिसर्च सेल द्वारा आयोजित “नेविगेटिंग रिसर्च मेथोडॉलॉजिस इन सोशल साइंसेज एंड कॉमर्स” विषयक सप्तदिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को हुआ। इस अवसर पर इण्डियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि शोध के क्षेत्र में भारत को बहुत कुछ करना है और यह ज़िम्मेदारी युवा पीढ़ी को निभानी है।

प्रो. पाण्डेय ने शोध मेथोडोलॉजी की जटिलता और महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत के पिछड़ने का कारण लंबे समय की ग़ुलामी है, जिसने हमारी धरोहर को सुरक्षित नहीं रहने दिया। उन्होंने बताया कि आज समय बदल चुका है और सरकार का सहयोग भी मिल रहा है, इसलिए युवा शोधकर्ताओं को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इस क्षेत्र में उचाइयों को छूना चाहिए।
प्रो. मृत्युंजय मिश्रा ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोध वास्तव में सत्य की खोज है। उन्होंने शोध पद्धति के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि वर्तमान समय कौशल विकास का है और यह पद्धति इसी कार्य में सहायक होती है।
कार्यशाला के समन्वयक डॉ. अन्नपूर्णा दीक्षित ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ शोध में गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होती हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नमिता गुप्ता ने किया, जबकि प्राचार्य प्रोफेसर रचना दुबे ने अतिथियों का स्वागत और प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों के साथ-साथ सैकड़ों छात्राएं भी उपस्थित रहीं, जो शोध की दिशा में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए उत्सुक थीं। कार्यशाला में उपस्थित अन्य विशिष्ट अतिथियों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा और वाणिज्य विभाग से प्रोफेसर अखिल मिश्रा शामिल रहे।