BHU में OBC आरक्षण पर विवाद: सामान्य वर्ग को सीटें देने का आरोप, धरने पर छात्र

वाराणसी I काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में PHD दाखिले को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। OBC आरक्षण और प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को लेकर छात्रों का तीसरा धरना परीक्षा नियंता कार्यालय के बाहर शुरू हो गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि OBC की कुछ आरक्षित सीटें सामान्य वर्ग को दी जा रही हैं, जिससे 27 प्रतिशत OBC आरक्षण घटकर 17 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि सामान्य वर्ग का कोटा 50 से बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगा।

OBC सीटों पर सामान्य वर्ग को देने का आरोप
प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के छात्रों ने बताया कि PHD नामांकन में देरी पर विभागीय शिक्षकों से बात करने पर पता चला कि 2012 के नियमों का हवाला देकर OBC की आरक्षित सीटें सामान्य वर्ग को दी जा रही हैं। छात्रों ने कहा कि UGC ने 4 अप्रैल और BHU ने 9 अप्रैल को निर्देश जारी किया था कि रिक्त सीटें उसी वर्ग में भरी जाएंगी, फिर भी नियमों का उल्लंघन हो रहा है। छात्रों ने ऐलान किया कि जब तक उनका दाखिला नहीं होता, वे धरना जारी रखेंगे।

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अभाविप ने उठाया EWS आरक्षण का मुद्दा
BHU में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) ने भी कुलपति आवास के बाहर धरना देकर PHD दाखिले में EWS आरक्षण पर भारत सरकार के नियमों के पालन की मांग की। अभाविप काशी प्रांत के प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी विभाग में दो अभ्यर्थियों ने EWS प्रमाणपत्र की वैधता और प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने BHU परिसर में अराजक तत्वों के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग की।

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छात्रा अर्चिता के समर्थन में NSUI और राजनीतिक दल
हिन्दी विभाग में शोध दाखिले को लेकर छात्रा अर्चिता का BHU केंद्रीय कार्यालय के मुख्य गेट पर धरना पांचवें दिन भी जारी रहा। NSUI ने उनके समर्थन में प्रदर्शन किया, जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अर्चिता से बात कर मदद का भरोसा दिलाया। आरा से सांसद सुदामा प्रसाद ने केंद्रीय शिक्षामंत्री को पत्र लिखकर अर्चिता को न्याय दिलाने की मांग की।
प्रशासन ने लिया संज्ञान

धरना स्थल पर पहुंचे ADM सिटी आलोक वर्मा ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अर्चिता से बातचीत की और उनका बयान दर्ज किया। BHU प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है और अब सभी की निगाहें विश्वविद्यालय के अगले फैसले पर टिकी हैं। छात्रों ने स्पष्ट किया कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे।

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