Budhava Mangal: रंगारंग उत्सव, गंगा तट पर गीत-संगीत और गुलाल संग बजड़ों पर सजेगी लोकगायकों की महफिल

वाराणसी। होली के बाद काशी में एक और भव्य उत्सव की तैयारी जोरों पर है। गंगा के पावन घाटों पर हर साल होली के बाद पहले मंगलवार को मनाया जाने वाला बुढ़वा मंगल (Budhava Mangal) इस बार 18 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा। अस्सी से राजघाट तक गंगा में बजड़ों पर सजी संगीत महफिलों में गीत, गुलाल और खुशियों की रंगीन शाम का आयोजन होगा।

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Budhava Mangal: रंगारंग उत्सव, गंगा तट पर गीत-संगीत और गुलाल संग बजड़ों पर सजेगी लोकगायकों की महफिल Budhava Mangal: रंगारंग उत्सव, गंगा तट पर गीत-संगीत और गुलाल संग बजड़ों पर सजेगी लोकगायकों की महफिल

बनारसी परंपरा का प्रतीक है बुढ़वा मंगल
बनारस में होली की मस्ती का खुमार Budhava Mangal पर भी देखने को मिलता है। अस्सी से राजघाट तक बजड़ों पर बुढ़वा मंगल की महफिल सजेगी। गंगा किनारे लोक संगीत की महफिलें सजेंगी, जहां लोकगायक ठुमरी, चैती और होरी से समां बांधेंगे।बुढ़वा मंगल की परंपरा वर्षों पुरानी है, जिसे काशीवासी आज भी पूरे जोश के साथ निभाते हैं।

गंगा किनारे गुलाल और संगीत की महफिलें
बिरहा गायक विष्णु यादव के अनुसार, यह केवल संगीत का आयोजन नहीं, बल्कि गुलाल, खानपान और बनारसी पहनावे का उत्सव भी है। इस दिन काशीवासी सफेद परिधान पहनते हैं और कुल्हड़ में ठंडाई व पारंपरिक मिठाइयों का स्वाद लेते हैं। देश-विदेश से आए सैलानी भी इस उत्सव का आनंद लेने गंगा घाटों पर जुटते हैं।

इवेंट कंपनियों और संस्थाओं की भागीदारी
Budhava Mangal को और भव्य बनाने के लिए कई इवेंट कंपनियां और सामाजिक संस्थाएं विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। गंगा की लहरों पर सजे बजड़ों पर संगीत संध्या आयोजित होगी, जहां काशी के लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

बनारस में Budhava Mangal का यह उत्सव लोक परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम है, जिसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग गंगा घाटों पर उमड़ते हैं।

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