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रुपये में भारी गिरावट पर आया वित्त मंत्री का बयान, बोली- अपना रास्ता खुद ढूंढ लेगी...

 
Nirmala
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भारतीय रुपये (Indian Rupee) ने बुधवार को इतिहास का सबसे निचला स्तर छू लिया। डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के पार पहुंचते हुए 90.46 के अब तक के ऑल-टाइम लो स्तर पर दर्ज किया गया। मुद्रा बाजार में रुपये पर बढ़ते दबाव की मुख्य वजह डॉलर की बढ़ती मांग, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, भू-राजनीतिक तनाव और भारत-US ट्रेड डील में चल रही देरी को माना जा रहा है।

रुपये की गिरावट पर वित्त मंत्री का बयान

रुपये में जारी गिरावट पर अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान सामने आया है। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट (HTLS) के 23वें एडिशन में उन्होंने कहा, रुपये को अपना रास्ता खुद ढूंढ़ना होगा।"

वित्त मंत्री ने कहा कि करेंसी लेवल पर चर्चा करते समय वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज की आर्थिक वास्तविकताओं की तुलना पुराने हालात से नहीं की जानी चाहिए।

उनका कहना था, इकॉनमी के फंडामेंटल्स को देखें, ग्रोथ को देखें। करेंसी पर बहस मौजूदा हकीकत के हिसाब से हो, ना कि पिछली स्थितियों से तुलना करके।"

‘करे करेंसी का मूल्यांकन, सिर्फ गिरावट नहीं’

रुपये-डॉलर एक्सचेंज रेट पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जब करेंसी कमजोर होती है, तो सामान्य तर्क होता है कि एक्सपोर्टर्स को इसका फायदा मिलता है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि केवल यही कारण स्थिति को समझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, यह भी सच है कि इकॉनमी की मजबूती का आकलन साथ-साथ किया जाना चाहिए।

क्यों गिर रहा है रुपया?

4 दिसंबर को रुपये की भारी गिरावट के पीछे यह प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं—

  • भारत-US ट्रेड डील में देरी

  • विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली

  • डॉलर की बढ़ती वैश्विक मांग

  • भू-राजनीतिक अनिश्चितता

ये स्थिति तब है जब रिटेल महंगाई 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और भारत की GDP ग्रोथ 8% से ऊपर बनी हुई है। ऐसे में रुपये की कमजोरी बाजार विशेषज्ञों के लिए भी हैरानी का कारण है।

अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ बढ़ेगी?

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 8.2% तक पहुंच गई, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे अधिक है। वित्त मंत्री का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले समय में भी मजबूत रहेगी और चालू वित्त वर्ष (FY26) में ग्रोथ 7% या उससे अधिक रहने की पूरी संभावना है।